मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट और बैंकिंग सेक्टर में की नई जान फूंकने की कोशिश, किए ये 5 बड़े ऐलान
रुपया (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने साल 2019 के लिए भारत की जीडीपी में गिरावट की संभावना जताई है. एजेंसी ने भारत के आर्थिक विकास दर 6.2 होने का अनुमान जताया है. इससे पहले, मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.8 फीसदी की दर से आगे बढ़ने का अनुमान जताया था. इस बीच मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट और बैंकिंग सेक्टर में एक नई जान फूंकने के लिए कई बड़े बदलाव करने का ऐलान किया है.

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को देश के आर्थिक हालत पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत और बेहतर हालत में है. वित्त मंत्री ने कारोबारियों और आम जनता के हित से जुड़े कुछ अहम ऐलान भी किया. साथ ही कॉर्पोरेट और बैंकिंग सेक्टर में ग्रोथ के लिए सरकार के पूरे सहयोग की बात दोहराई.

इन 5 बड़े बदलावों का हुआ ऐलान-

  • कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) नियमों के उल्लंघन को दिवानी (सिविल) मामले की तरह देखा जाएगा, इसे आपराधिक मामलों की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा.
  • छोटे एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के अब तक के सभी लंबित जीएसटी रिफंड का भुगतान 30 दिन के भीतर कर दिया जाएगा ; भविष्य के रिफंड मामलों को 60 दिन के भीतर निपटा दिया जाएगा.
  • सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआती दौर में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी ताकि बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकें.
  • करदाताओं का उत्पीड़न समाप्त करने से जुड़े कर सुधारों के लिए अब सभी कर नोटिस केंद्रीयकृत प्रणाली से जारी होंगे. 1 अक्टूबर से सभी नोटिस एक सेंट्रलाइज्ड कंप्यूटर से भेजे जाएंगे.
  • बैंकों की ब्याज दरें रेपो रेट से जुड़ेंगी. जिससे रेपो रेट घटते ही ब्याज की दर घट जाएगी. बैंक होम और ऑटो लोन सस्ता करेंगे. लोन बंद होने के बाद 15 दिन के भीतर ग्राहकों को लोन खत्म होने का डॉक्यूमेंट दे दिया जाएगा.

देखें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की प्रेस कॉन्फ्रेंस-

सीतारमण ने इस दौरान कहा कि आर्थिक सुधार सरकार के एजेंडा में सबसे ऊपर है, सुधारों की प्रक्रिया जारी है, इसकी रफ्तार थमी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि विश्व में मौजूदा समय में आई मंदी अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तथा मुद्रा अवमूल्यन के चलते और भी गंभीर हो गई है. इसके चलते वैश्विक व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव वाली स्थिति पैदा हुई है.