Lawyer Appears Shirtless During Online Hearing: ऑनलाइन सुनवाई के दौरान वकील शर्टलेस हुआ अपीयर, भड़के हाईकोर्ट के जज
प्रतीकात्मक तस्वीर (File Photo)

अब वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों के लिए ड्रेसिंग अतीत की बात लगती है. यहां तक कि महत्वपूर्ण जूम कॉल के दौरान, बहुत से लोग फॉर्मल ड्रेस छोड़कर अधिक आरामदायक कपड़ों पर स्विच कर रहे हैं. लेकिन एक शख्स ने तो सुप्रीम कोर्ट के सामने सहज होने में हद ही कर दी. जिसकी वजह से उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा फटकार लगाई गई. एक वकील द्वारा बिना शर्ट पहने वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पेश होने के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट इस बात से गुस्से में था. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वकील अपना कैमरा एडजस्ट करता हुआ दिखाई दिया, वकील से परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते? कोर्ट ने कहा यह कैसा व्यवहार है? सात-आठ महीने की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुनवाई के बाद भी, ये बातें हो रही हैं', एक बेंच ने कहा जिसमें जस्टिस एल नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता शामिल हैं.

यह घटना सुप्रीम कोर्ट के वर्चुअल कोर्ट रूम में हुई, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति एलएन राव ने की थी, जब वह महामारी के दौरान चाइल्ड केयर होम्स की स्थिति के बारे में सुनवाई कर रहे थे. यह पहली बार नहीं है जब शीर्ष अदालत में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान ऐसी अप्रिय घटना घटी हो. 26 अक्टूबर को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भी इसी तरह की घटना हुई थी, जब एक वकील को शर्टलेस स्क्रीन पर देखा गया था. मुझे किसी पर भी हार्ड होना पसंद नहीं है लेकिन आप स्क्रीन पर हैं. आपको सावधान रहना होगा. यह भी पढ़ें: Naked Mum Accidentally Appears on Son's Zoom Class: बेटे की ऑनलाइन क्लास के दौरान बिना कपड़ों के मां गलती से हुई कैमरे में कैद, सोशल मीडिया पर रिएक्शंस की भरमार, देखें वायरल वीडियो

जून में एक वकील बिस्तर पर लेटे हुए एक टी-शर्ट पहने हुए शीर्ष अदालत में ऑनलाइन सुनवाई के दौरान भी ऐसा ही किया था. इस साल अप्रैल में एक ऐसी ही घटना सामने आई थी, जब एक वकील ने जमानत की सुनवाई के दौरान विस्ट-कांफ्रेंसिंग के जरिये राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला सुनाया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों में पेश होने वाले वकीलों को प्रेजेंटेबल होना चाहिए और उस इमेज को दिखाने से बचना चाहिए जो उचित नहीं हैं. शीर्ष अदालत ने COVID-19 महामारी के बीच अपने कामकाज को प्रतिबंधित किया है, वर्तमान में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रही है.