राष्ट्रीय राजधानी के ऐतिहासिक जामा मस्जिद इलाके में शुक्रवार को जुमे की नमाज बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुआ. यहां प्रदर्शनकारियों ने कहा कि "हमसे कोई पाकिस्तान जाने को न कहे. हम हिंदुस्तान के किसी कब्रिस्तान में तो जा सकते हैं, लेकिन पाकिस्तान नहीं जा सकते." प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और एनआरसी के खिलाफ यहां जमकर नारेबाजी की. सीएए विरोधी यह प्रदर्शन जामा मस्जिद के मेन गेट पर हुआ. प्रदर्शन का आयोजन कांग्रेस नेताओं द्वारा किया गया था. पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष शोएब इकबाल, पूर्व विधायक अलका लांबा, और टीएमसी के नेता व व्यापारी नेता इस प्रदर्शन में शरीक हुए. जामा मस्जिद में हुए इस प्रदर्शन के दौरान अलका लांबा ने अपने माथे से बिंदी उतार दी और सिर पर मुस्लिम हिजाब ओढ़ लिया अलका ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि "प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के कपड़ों पर टिप्पणी की थी, इसलिए आज मैं इस वेशभूषा में यहां आई हूं. अब हमारे कपड़ों से पहचान के बताओ कि हम कौन हैं."
जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए दिल्ली विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष शोएब इकबाल ने कहा, "प्रधानमंत्री और गृहमंत्री एक-दूसरे के विपरीत बयान देते हैं, जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है. प्रधानमंत्री ने रामलीला मैदान से कहा कि एनआरसी पर चर्चा ही नहीं हुई. कहीं एनआरसी लागू होने नहीं जा रहा. वहीं गृहमंत्री अमित शाह संसद में, संसद के बाहर साफ शब्दों में कह रहे हैं कि एनआरसी आएगा और पूरे देश में लागू किया जाएगा." इकबाल ने कहा, "प्रधानमंत्री या गृहमंत्री दोनों में से कोई एक झूठ बोल रहा है. अब प्रधानमंत्री की बात तभी सच मानी जा सकती है जब वह संसद का विशेष सत्र बुलाकर नागरिकता संशोधन कानून को खारिज कर दें. जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक वे लोग इसके खिलाफ मुहिम चलाए रखेंगे."
हालांकि इस बार जामा मस्जिद के बाहर शुरू हुआ प्रदर्शन कुछ देर बाद यहीं समाप्त कर दिया गया. प्रदर्शनकारियों को जुलूस की शक्ल में आगे न जाने की हिदायत दी गई. सभी से कहा गया कि वे अपना प्रदर्शन शांतिपूर्ण रखें. गौरतलब है कि पिछले जुमे की नमाज के बाद हुआ प्रदर्शन शाम होते-होते उग्र हो गया था. कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया और एक कार को आग लगा दी थी.