
आशंकाओं से उलट जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स की ट्रंप से मुलाकात अच्छी रही है और कोई अप्रिय स्थिति पेश नहीं आई. दोनों नेताओं का लहजा बता रहा है कि संवाद और संबंध आने वाले दिनों में बेहतर हो सकते हैं.जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स अमेरिका के साथ कारोबारी मामले पर सहयोग बढ़ाने के साथ ही रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने यह बात कही.
गुरुवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप से पहली मुलाकात के बाद प्रेस ब्रीफिंग में मैर्त्स ने जर्मन विरासत का हवाला देकर कहा, "हमारे इतिहास में इतना कुछ संयुक्त है. हम पर अमेरिकी लोगों का बहुत कर्ज है. हम उसे कभी नहीं भूल सकते."
कारोबारी संबंधों पर चर्चा
ट्रंप से मुलाकात में दोनों नेता कारोबार के मसले पर संबंध बढ़ाने के लिए रजामंद हुए. मैर्त्स ने जर्मन प्रसारक एआरडी से कहा कि जर्मनी यूरोप में भविष्य के कारोबारी समझौतों के मामले में नेतृत्व की जिम्मेदारी लेने को तैयार है. ट्रंप की आयात शुल्क की नीतियों की अनिश्चितता ने दुनिया भर में हड़कंप मचा रखा है.
मैर्त्स का कहना है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच आयात शुल्क पर विवाद ट्रंप के साथ दोपहर भोजन पर हुई उनकी मुलाकात के दौरान प्रमुख विषय था. मैर्त्स का कहना है कि उन्होंने ट्रंप को यह समझाने की कोशिश की कि यूरोपीय संघ कैसे बना और इस बात पर जोर दिया कि वह अमेरिका के लिए खतरा नहीं है. मैर्त्स ने पिछली बार से अलग सुर में इस बार जोर दे कर कहा, "हम यहां एक साझा समाधान निकालना चाहते हैं."
पत्रकार वार्ता के दौरन ट्रंप का रुख भी काफी दोस्ताना नजर आया. पिछले दिनों यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से ओवल ऑफिस में हुई मुलाकातों के उलट इस बार वह नर्म और सहज दिखे. यूक्रेन और रक्षा खर्च जैसे मुद्दों पर ट्रंप का रुख समझौतावादी था.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस के आरोप हैं कि जर्मनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करता है और अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) जैसी धुर दक्षिणपंथी पार्टियों को किनारे करता है. हालांकि मैर्त्स की इस यात्रा के दौरान ये मु्द्दे नहीं उठाए गए. वैंस और रुबियो मैर्त्स के साथ कार्यक्रम में शामिल थे. मैर्त्स उन आरोपों पर जवाब देने की तैयारी के साथ गए थे.
अंग्रेजी बोलने की तारीफ
ट्रंप ने तो जर्मनी के रक्षा प्रयासों की सराहना भी की, जबकि इससे पहले वह इस मुद्दे पर जर्मनी के कड़े आलोचक रहे हैं. ट्रंप ने मैर्त्स की अंग्रेजी की भी तारीफ की. ट्रंप ने कहा, "आप अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं. क्या आप कह सकते हैं कि यह उतनी ही अच्छी है जितनी कि जर्मन?" ट्रंप की इस बात पर दोनों नेता और वहां मौजूद पत्रकारों की हंसी छूट गई. जवाब में मैर्त्स ने कहा, "नहीं यह मेरी मातृभाषा नहीं है, लेकिन मैं लगभग सबकुछ समझने की कोशिश करता हूं, और हां, जितना अच्छा संभव है उतना बोलने की भी."
ट्रंप से मुलाकात के बाद मैर्त्स ने इसकी सराहना की और यात्रा से संतुष्ट नजर आए. उन्होंने एआरडी से कहा, "आज (गुरुवार) हमने बहुत अच्छे निजी संबंधों के साथ ही रचनात्मक राजनीतिक चर्चाओं की नींव रखी है." मैर्त्स ने यह भी कहा "इस अनुभूति के साथ लौट रहा हूं कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में एक ऐसा शख्स मिला है, जिससे बहुत निजी स्तर पर अच्छे से संवाद किया जा सकता है."
एक दूसरे को कितना जानते हैं मैर्त्स और ट्रंप
दोनों नेता इससे पहले सिर्फ एक बार कुछ समय के लिए न्यू यॉर्क में मिले हैं, हालांकि कुछ हफ्ते पहले मैर्त्स के चांसलर बनने के बाद इन दोनों की कई बार फोन पर बात हुई है. इसमें अकेली बातचीत और यूक्रेन के मसले पर सामूहिक चर्चाएं भी शामिल हैं.
अमेरिका में रखे अपने सोने को लेकर जर्मनी में चिंता बढ़ी
जर्मन सूत्रों के मुताबिक मैर्त्स के पास अब अमेरिकी राष्ट्पति का मोबाइल नंबर भी हैं और दोनों एक दूसरे को पहले नाम से संबोधित करते हुए संदेश भी भेजते हैं. इससे पहले तक ट्रंप यूरोप में अपने संपर्क के तौर पर सिर्फ फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का ही नाम लेते थे. मैर्त्स ने नेतृत्व की भूमिका में आने का लक्ष्य बनाया है तो उन्हें यह उम्मीद भी है कि उनका नंबर यूरोप से सीधे संवाद के लिए इस्तेमाल होगा.
विवादित मुद्दों से परहेज
वॉशिंगटन दौरे से पहले मैर्त्स ने यह साफ कर दिया था कि एएफडी के साथ बर्ताव को लेकर जर्मनी की आलोचना पर जवाब देना है, हालांकि यह मुद्दा ओवल ऑफिस में नहीं उठा. एक पत्रकार ने इस बारे में पूछा लेकिन वहां मौजूद पत्रकारों की भीड़ में यह सवाल खो गया. मैर्त्स ने व्हाइट हाउस में बगैर अनुवादक के बात की. इसका मकसद भरोसा कायम करना था और ऐसा लग रहा है कि वह इसमें सफल भी हुए.
चांसलर ने इस मुलाकात से पहले कई राष्ट्राध्यक्षों से मशविरा लिया था जो ट्रंप से मिल चुके हैं. इसमें जेलेंस्की, रामाफोसा, मेलोनी, नॉर्वे के प्रधानमंत्री और फिनलैंड के राष्ट्रपति भी शामिल हैं.
यात्रा का सबसे बड़ा मुद्दा
यूक्रेन में युद्ध को रोकना इस दौरे का सबसे प्रमुख मुद्दा था. मैर्त्स ने इस मामले में खुद को यूरोपीय नेतृत्व के रूप में पेश किया है, हालांकि वह इसकी धीमी प्रगति पर निराशा भी जता चुके हैं. ट्रंप ने मैर्त्स को इस मामले में एक सहयोगी के रूप में देखा. ट्रंप का कहना है कि उनकी तरह ही मैर्त्स भी लड़ाई रुकते देखना चाहते हैं.
दोनों इस बात से नाखुश हैं कि फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है. हालांकि ट्रंप ने उम्मीद जताई है कि एक समय पर यह "खूनखराबा" खत्म होगा. एक बार उन्होंने यह सवाल बने रहने दिया कि वह रूस पर नए प्रतिबंधों की तैयारी कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने दोनों पक्षों पर प्रतिबंध से इनकार भी नहीं किया. ट्रंप का कहना है, "यह दोनों देशों पर हो सकता है-इसमें दोनों शामिल हैं."
हालांकि मैर्त्स का रुख इस बारे में बिल्कुल साफ है कि रूस आक्रमणकारी और संघर्ष शुरू करने वाला है जबकि ट्रंप ने स्पष्ट तौर पर यह नहीं कहा. मैर्त्स का कहना है, "हम यूक्रेन की तरफ हैं" उन्होने यह भी कहा कि जर्मनी और यूरोपीय संघ, "उन्हें मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं." बाद में प्रेस कांफ्रेंस में मैर्त्स ने दोनों के अलग रुख पर ज्यादा जोर नहीं डाला. मैर्त्स ने कहा, "हम दोनों इस युद्ध पर सहमत हैं, और यह युद्ध कितना भयानक है और हम दोनों युद्ध रोकनो के तरीकों की तलाश कर रहे हैं."