भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 (PSLV-C59/Proba-3) मिशन को प्रक्षेपित करने से सिर्फ कुछ घंटे दूर है. इसरो यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 (PROBA-3) मिशन को रवाना करेगी. PSLV-C59/PROBA-3 मिशन सैटेलाइट्स को 4 दिसंबर को शाम 4:06 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. इस काम में PSLV-C59 वीकल की मदद ली जाएगी, जोकि करीब 550 किलो के सैटेलाइट्स को लेकर उड़ान भरेगा. प्रोबा-3 एक इन-ऑर्बिटल प्रदर्शन मिशन है.
इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो से एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि PSLVC59/PROBA-3 मिशन PSLV की 61वीं फ्लाइट होगी और PSLV-XL कॉन्फिगरेशन के साथ 26वीं उड़ान होगी, जिसमें सैटेलाइट्स को ले जाने के लिए एक सेट शामिल होता है.
इसरो ने कहा, 'यह ईएसए के सहयोग से इसरो द्वारा सक्षम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का एक मिशन है. यह मिशन इएसए के प्रोबा-3 उपग्रहों (लगभग 550 किलो) को एक अद्वितीय अत्यधिक अंडाकार कक्षा में स्थापित करेगा, जो जटिल कक्षीय डिलीवरी के लिए पीएसएलवी की विश्वसनीयता को मजबूत करेगा.'
एक साथ दो स्पेसक्राफ्ट की उड़ान
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मिशन में दो अंतरिक्ष यान शामिल हैं. इनके नाम- कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (सीएससी) और ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (ओएससी) हैं. इन्हें ‘स्टैक्ड कॉन्फिगरेशन' (एक के ऊपर एक) में लॉन्च किया जाएगा. इसरो ने प्रक्षेपण के बारे में एक बयान में कहा, मिशन का लक्ष्य सटीक संरचना उड़ान का प्रदर्शन करना है.
पीएसएलवी एक प्रक्षेपण यान है जो उपग्रहों और अन्य विभिन्न पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाने में मदद करता है, या इसरो की आवश्यकताओं के अनुसार. यह प्रक्षेपण यान भारत का पहला ऐसा वाहन है जो लिक्विड स्टेज से लैस है.
पहला पीएसएलवी अक्टूबर 1994 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. इसरो के अनुसार, पीएसएलवीसी-59 में लॉन्च के चार चरण होंगे. लॉन्च वाहन द्वारा उठाया जाने वाला कुल द्रव्यमान लगभग 320 टन है. ISRO ने यहा भी बताया कि किस प्रकार यह प्रक्षेपण मिशन पीएसएलवी की "विश्वसनीय सटीकता" और अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग का उदाहरण है.
PSLV के PSLV-C58 लॉन्च वीकल ने आखिरी बार XPOSAT सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाया था. यह लॉन्च इस साल 1 जनवरी को हुआ था.
पोस्ट में कहा गया है कि यह मिशन पीएसएलवी की विश्वसनीय सटीकता और एनएसआईएल (न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड), इसरो और ईएसए के सहयोग का उदाहरण है. पीएसएलवी का अंतिम प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी58 था, जिसने एक्सपोसैट उपग्रह को "1 जनवरी, 2024 को पूर्व की ओर कम झुकाव वाली कक्षा" में प्रक्षेपित किया.
ईएसए ने कहा कि प्रोबा-3 दुनिया का पहला सटीक निर्माण उड़ान मिशन है. यह सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी और सबसे गर्म परत, सौर कोरोना का अध्ययन करेगा. इस उपग्रह को (एक्सरे पोलरिमीटर सैटेलाइट) भी कहा जाता है, यह इसरो का देश का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है जो आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान करता है.