Indus Waters Treaty: भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा

भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है, जिसमें तर्क दिया गया है कि परिस्थितियों में “मौलिक और अप्रत्याशित” परिवर्तनों के कारण संधि का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है.

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Indus Waters Treaty | PTI

नयी दिल्ली, 18 सितंबर: भारत ने सिंधु जल सवीडियो वायरल">Mahakumbh 2025: कुंभ मेले में बिछड़ी पत्नी से मिलने के बाद भावुक हुआ पति, दोनों के मिलन का इमोशनल वीडियो वायरल

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    Indus Waters Treaty: भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा

    भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है, जिसमें तर्क दिया गया है कि परिस्थितियों में “मौलिक और अप्रत्याशित” परिवर्तनों के कारण संधि का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है.

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    नयी दिल्ली, 18 सितंबर: भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है, जिसमें तर्क दिया गया है कि परिस्थितियों में “मौलिक और अप्रत्याशित” परिवर्तनों के कारण संधि का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है. सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के अनुच्छेद 12(3) के तहत 30 अगस्त को पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया.

    भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद 19 सितम्बर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था, जो कई सीमा पार नदियों के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तंत्र स्थापित करता है.

    सूत्रों ने बताया कि भारत की अधिसूचना में परिस्थितियों में आए मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों पर प्रकाश डाला गया है, जिसके लिए संधि के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है.

    उन्होंने कहा कि विभिन्न चिंताओं में से महत्वपूर्ण हैं जनसंख्या में परिवर्तन, पर्यावरणीय मुद्दे तथा भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता.

    भारत ने समीक्षा की मांग के पीछे एक कारण सीमापार से लगातार जारी आतंकवाद का प्रभाव भी बताया है.

    एक सूत्र ने कहा, “यह अधिसूचना किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में एक अलग लंबे समय से चले आ रहे विवाद की पृष्ठभूमि में जारी की गई थी.” सूत्र ने कहा, “इस संबंध में, विश्व बैंक ने एक ही मुद्दे पर तटस्थ-विशेषज्ञ तंत्र और मध्यस्थता न्यायालय दोनों को एक साथ सक्रिय कर दिया है.”

    सूत्र ने कहा, “इसलिए भारतीय पक्ष ने संधि के तहत विवाद समाधान तंत्र पर पुनर्विचार करने का भी आह्वान किया है.” भारत ने विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता न्यायालय की प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया है.

    नयी दिल्ली का मानना ​​है कि विवाद को सुलझाने के लिए दो समवर्ती प्रक्रियाओं की शुरुआत सिंधु जल संधि में निर्धारित तीन-चरणीय क्रमिक तंत्र के प्रावधान का उल्लंघन है. भारत तटस्थ-विशेषज्ञ कार्यवाही के माध्यम से विवाद के समाधान पर जोर दे रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस अधिसूचना के साथ भारत ने पाकिस्तान से सरकार से सरकार की वार्ता शुरू करने का आह्वान किया है ताकि अनुच्छेद 12(3) के प्रावधानों के तहत संधि की समीक्षा की जा सके.

     

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    नयी दिल्ली, 18 सितंबर: भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है, जिसमें तर्क दिया गया है कि परिस्थितियों में “मौलिक और अप्रत्याशित” परिवर्तनों के कारण संधि का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है. सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के अनुच्छेद 12(3) के तहत 30 अगस्त को पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया.

    भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद 19 सितम्बर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था, जो कई सीमा पार नदियों के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तंत्र स्थापित करता है.

    सूत्रों ने बताया कि भारत की अधिसूचना में परिस्थितियों में आए मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों पर प्रकाश डाला गया है, जिसके लिए संधि के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है.

    उन्होंने कहा कि विभिन्न चिंताओं में से महत्वपूर्ण हैं जनसंख्या में परिवर्तन, पर्यावरणीय मुद्दे तथा भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता.

    भारत ने समीक्षा की मांग के पीछे एक कारण सीमापार से लगातार जारी आतंकवाद का प्रभाव भी बताया है.

    एक सूत्र ने कहा, “यह अधिसूचना किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में एक अलग लंबे समय से चले आ रहे विवाद की पृष्ठभूमि में जारी की गई थी.” सूत्र ने कहा, “इस संबंध में, विश्व बैंक ने एक ही मुद्दे पर तटस्थ-विशेषज्ञ तंत्र और मध्यस्थता न्यायालय दोनों को एक साथ सक्रिय कर दिया है.”

    सूत्र ने कहा, “इसलिए भारतीय पक्ष ने संधि के तहत विवाद समाधान तंत्र पर पुनर्विचार करने का भी आह्वान किया है.” भारत ने विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता न्यायालय की प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया है.

    नयी दिल्ली का मानना ​​है कि विवाद को सुलझाने के लिए दो समवर्ती प्रक्रियाओं की शुरुआत सिंधु जल संधि में निर्धारित तीन-चरणीय क्रमिक तंत्र के प्रावधान का उल्लंघन है. भारत तटस्थ-विशेषज्ञ कार्यवाही के माध्यम से विवाद के समाधान पर जोर दे रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस अधिसूचना के साथ भारत ने पाकिस्तान से सरकार से सरकार की वार्ता शुरू करने का आह्वान किया है ताकि अनुच्छेद 12(3) के प्रावधानों के तहत संधि की समीक्षा की जा सके.

     

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