गठबंधन की सरकार में बीजेपी को उठाना होगा साथियों की मांगों का बोझ, बिहार और आंध्र को मिल जाएगा विशेष राज्य का दर्जा?
PM Modi with Nitish Kumar and CB Naidu

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब NDA एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है. इस चुनाव में बीजेपी अकेले बहमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की आवश्यकता होगी. इस बार आम चुनाव में खंडित जनादेश मिला है इसलिए सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की भूमिका बढ़ गई है. ऐसे में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग एक बार फिर सुर्ख़ियों में आ गई है. Modi Govt 3.0: पीएम मोदी के शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी की बड़ी बैठक, सभी सीएम और सांसदों को आज शाम तक दिल्ली पहुंचने का आदेश.

आंध्र प्रदेश के नेता एन चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP को 16 सीटों पर जीत हासिल हुई है. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी JDU के खाते में 12 सीटें आई हैं. सरकार बनाने में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू अहम भूमिका निभा रहे हैं ऐसे में बीजेपी के लिए उनकी मांगे मानना जरूरी हो गया है. दोनों मुख्यमंत्री सालों से बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे (Special Category Status) की मांगे कर रहे हैं ऐसे में उनकी पिछली मांगें फिर से फोकस में आ गई हैं.

इस बीच, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देगी, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वादा किया था.

बिहार के लिए नीतीश कुमार की मांग

बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग नीतीश कुमार ने इसे तब उठाया था, जब वह 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उनका कहना था कि झारखंड के अलग हो जाने के बाद से बिहार एक पिछड़ा और गरीब राज्य रह गया है. उन्होंने यह मांग पिछले साल नवंबर में भी तब दोहराई थी जब उन्होंने जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए थे.

नायडू भी चाहते हैं विशेष दर्जा

चंद्र बाबू नायडू भी विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बहुत पहले से अभियान चला रहे हैं. जब साल 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना एक अलग राज्य बन गया तो उसके राजस्व के एक बड़े हिस्से के नुकसान हुआ. जिसके बाद बाद चंद्र बाबू नायडू ने साल 2017 में राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग उठाई थी.

विशेष श्रेणी का दर्जा क्या है?

भारत के पांचवें वित्त आयोग ने 1969 में राज्यों के लिए विशेष श्रेणी की शुरुआत की थी, ताकि ऐतिहासिक आर्थिक या भौगोलिक रूप से पिछड़े राज्यों के विकास और तेजी से विकास को बढ़ावा दिया जा सके. यह दर्जा कठिन और पहाड़ी इलाकों, कम जनसंख्या घनत्व या बड़ी जनजातीय आबादी, सीमाओं के साथ रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी ढांचे में पिछड़ापन और राज्य की खराब वित्तीय स्थिति जैसे कारकों के तहत दिया जा सकता है.