HC On Women Rights: एक महत्वपूर्ण फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में नवंबर 2016 में जारी एक सरकारी परिपत्र और जून 2019 में प्रकाशित एक विज्ञापन की एक शर्त को रद्द कर दिया, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता या सहायिका के रूप में नियुक्त होने के लिए एक महिला को 'विवाहित' होना अनिवार्य था.
एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने कहा कि अविवाहित महिला को सरकारी रोजगार से वंचित करने वाली ऐसी शर्त समानता के अधिकार और सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन करती है. HC On Romantic Relationship Of Minors: नाबालिग से प्रेम संबंध POCSO के तहत अपराध? पढ़ें बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा
न्यायालय की राय में अविवाहित होने के आधार पर एक महिला को सार्वजनिक रोजगार से वंचित करना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत एक महिला को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने के अलावा, एक महिला की गरिमा पर आघात है."
यह फैसला मधु (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसने 28 जून, 2019 को प्रकाशित एक विज्ञापन के जवाब में अपने गांव के आंगवाड़ी केंद्र में नौकरी के लिए आवेदन किया था.
Excluding unmarried women from government employment violates right to equality: Rajasthan High Court
report by @NarsiBenwal https://t.co/w2GxcLcY4o
— Bar & Bench (@barandbench) September 7, 2023
विज्ञापन और परिपत्र के मुताबिक अविवाहित महिला विज्ञापित नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकती है. जब उसने विज्ञापन में उल्लिखित पदों के लिए आवेदन किया, तो उसे सूचित किया गया कि वह इस पद के लिए अयोग्य है क्योंकि उसकी अभी तक शादी नहीं हुई है.
इसके बाद याचिकाकर्ता ने 2019 में उच्च न्यायालय का रुख किया कोर्ट ने कहा, "राज्य न तो ऐसी किसी भी स्थिति को पहले से टाल सकता है और न ही किसी महिला को सिर्फ इसलिए नौकरी का दावा करने से रोक सकता है क्योंकि उसने विवाह बंधन में नहीं बंधा है."