चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) आज शाम 7 बजे चंद्रमा के ऑर्बिट में दाखिल हो गया है. अब यह अंडाकार ऑर्बिट में चांद का चक्कर लगाएगा. बाद में इसे कम करके 100 किलोमीटर की गोलाकर ऑर्बिट में डाल दिया जाएगा. यह काम 17 अगस्त तक पूरा किया जाएगा. इसरो का यान अब चांद की ग्रैविटी वाले इलाके में पहुंच गया है. चांद के चारों तरफ पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे. जिसमें आज का लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (Lunar Orbit Injection - LOI) शामिल है.
LOI यानी चांद की कक्षा में डालते समय चंद्रयान-3 के इंजन को 20 से 25 मिनट के लिए ऑन किया गया. ताकि वह सही कक्षा पकड़ सके. चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों तरफ पांच चक्कर लगाएगा. शुरुआत 40 हजार किलोमीटर वाली ऑर्बिट से हुई है. इसके बाद दूसरी ऑर्बिट होगी 18 से 20 हजार किलोमीटर वाली अंडाकार कक्षा, जिसकी पेरीलून यानी चांद की सतह से नजदीकी दूरी करीब 120 किलोमीटर होगी. इसके बाद तीसरी मैन्यूवर में 4 से 5 हजार किलोमीटर. फिर चौथे में 1000 किलोमीटर. पांचवें में 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा हासिल होगी.
Chandrayaan-3 Mission:
“MOX, ISTRAC, this is Chandrayaan-3. I am feeling lunar gravity 🌖”
🙂
Chandrayaan-3 has been successfully inserted into the lunar orbit.
A retro-burning at the Perilune was commanded from the Mission Operations Complex (MOX), ISTRAC, Bengaluru.
The next… pic.twitter.com/6T5acwiEGb
— ISRO (@isro) August 5, 2023
6 अगस्त की रात 11 बजे के आसपास चंद्रयान को चांद के दूसरे ऑर्बिट में डाला जाएगा. 9 अगस्त की दोपहर पौने दो बजे के आसपास तीसरी ऑर्बिट मैन्यूवरिंग होगी. 14 अगस्त को दोपहर 12 बजे के आसपास चौथी और 16 अगस्त की सुबह साढ़े आठ बजे के आसपास पांचवां लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन होगा. 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.
17 अगस्त को ही चंद्रयान को चांद की 100 किलोमीटर ऊंचाई वाली गोलाकार कक्षा में डाला जाएगा. 18 और 20 अगस्त को चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा. इसके बाद 23 की शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान की लैंडिंग कराई जाएगी.