कोरोना वायरस का प्रकोप (Photo Credits: Twitter)
जब कोरोना ने दुनिया में अपने पैर पसारने शुरू किए तो सबसे पहले लक्षण सांस लेने में तकलीफ के आये, जिसके चलते कोविड-19 (COVID-19) को रेस्पिरेटरी डिज़ीज़ यानी श्वास संबंधी बीमारी करार दिया गया, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है. डॉक्टर इसे मल्टी ऑर्गन डिज़ीज़ (Multi-Organ Disease) कहने लगे हैं. वो इसलिए क्योंकि शरीर में कोविड-19 के संक्रमण के असर में अब परिवर्तन आ चुके हैं.
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (Lady Hardinge Medical College) नई दिल्ली के डॉ. राजेंद्र कुमार धमीजा (Dr. Rajendra Kumar Dhamija) की मानें तो शुरुआत में यह केवल रेस्पिरेटरी डिज़ीज़ मानी गई थी, लेकिन अब यह मल्टीऑर्गन डिज़ीज़ कहते हैं. यानी पहले इसका असर केवल फेफड़ों पर देखा जा रहा था, लेकिन अब यह वायरस लीवर, हार्ट, किडनी, आदि पर भी हमला कर रहा है.जिन लोगों को किसी प्रकार की बीमारी है, उनके लिए खतरा ज्यादा है. यह भी पढ़े: Corona Vaccine Update: ब्रिटेन में इस साल के अंत तक कोरोना महामारी की दवा बनकर हो जाएगी तैयार -रिपोर्ट
चार राज्यों में स्थिति चिंताजनक
इस पर डॉ. धमीजा कहते हैं कि पिछले 45 दिनों में पहली बार हमारे देश में 8 लाख से नीचे आ गए हैं। यह बहुत अच्छा संकेत है। अगर हम राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो स्थिति में सुधार है, लेकिन अगर राज्यों की बात करें तो चतोविड-19 के संक्रमण के असर में अब परिवर्तन आ चुके हैं.
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PBNS India|
Oct 18, 2020 06:09 PM IST
कोरोना वायरस का प्रकोप (Photo Credits: Twitter)
जब कोरोना ने दुनिया में अपने पैर पसारने शुरू किए तो सबसे पहले लक्षण सांस लेने में तकलीफ के आये, जिसके चलते कोविड-19 (COVID-19) को रेस्पिरेटरी डिज़ीज़ यानी श्वास संबंधी बीमारी करार दिया गया, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है. डॉक्टर इसे मल्टी ऑर्गन डिज़ीज़ (Multi-Organ Disease) कहने लगे हैं. वो इसलिए क्योंकि शरीर में कोविड-19 के संक्रमण के असर में अब परिवर्तन आ चुके हैं.
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (Lady Hardinge Medical College) नई दिल्ली के डॉ. राजेंद्र कुमार धमीजा (Dr. Rajendra Kumar Dhamija) की मानें तो शुरुआत में यह केवल रेस्पिरेटरी डिज़ीज़ मानी गई थी, लेकिन अब यह मल्टीऑर्गन डिज़ीज़ कहते हैं. यानी पहले इसका असर केवल फेफड़ों पर देखा जा रहा था, लेकिन अब यह वायरस लीवर, हार्ट, किडनी, आदि पर भी हमला कर रहा है.जिन लोगों को किसी प्रकार की बीमारी है, उनके लिए खतरा ज्यादा है. यह भी पढ़े: Corona Vaccine Update: ब्रिटेन में इस साल के अंत तक कोरोना महामारी की दवा बनकर हो जाएगी तैयार -रिपोर्ट
चार राज्यों में स्थिति चिंताजनक
इस पर डॉ. धमीजा कहते हैं कि पिछले 45 दिनों में पहली बार हमारे देश में 8 लाख से नीचे आ गए हैं। यह बहुत अच्छा संकेत है। अगर हम राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो स्थिति में सुधार है, लेकिन अगर राज्यों की बात करें तो चार प्रदेश- केरल, मध्य प्रदेश, राजसथान और पश्चिम बंगाल में अभी भी स्थिति खतरे से बाहर नहीं है. मामलों की संख्या काफी चिंताजनक है। लोगों को बहुत अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि पॉजिटिविटी रेट केरल में पिछले सात दिनों में 16 प्रतिशत है और महाराष्ट्र में 13.8 प्रतिशत है, राजस्थान में 11.3 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 8.6 प्रतिशत है। यह जब तक 5 से नीचे नहीं आता, स्थिति को गंभीर ही माना जाएगा। केरल में प्रति मिलियन एक लाख से ज्यादा टेस्ट कर रहे हैं, उसके बावजूद पॉजिटिविटी रेट बढ़ा हुआ है, जोकि चिंताजनक है। इसी प्रकार बाकी राज्यों में भी पॉजिटिविटी रेट तभी कम होगा जब लोग सावधानी बरतेंगे.
त्योहारों पर रहें सावधान
कोरोना केस का ग्राफ नीचे जाने का मतलब यह नहीं कि देश में सब ठीक है. अभी भी हमारे देश में स्थिति गंभीर है। लोगों द्वारा जरा सी चूक फिर से ग्राफ को ऊपर ले जा सकती है। अब यूरोप में देखिए, ग्राफ फिर से ऊपर जा रहा है। फ्रांस दोबारा लॉकडाउन में प्रवेश कर रहा है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमें आने वाले सर्दी के मौसम और त्योहारों के दौरान पहले से ज्यादा सावधानी बरतनी है.
पहली बात तो त्योहारों में न तो किसी के घर जाएं और न ही किसी को घर बुलायें. अगर कोई बाहर से आता है, तो सबसे पहले यह चेक करें कि उनके अंदर कोई लक्षण तो नहीं हैं. अगर लक्षण हैं, तो उनको समझा कर वापस भेज दें। दूसरी बात त्योहारों पर खरीददारी करने भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मत जायें.