Child Pornography is a Clear Offence: चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने  मद्रास HC के फैसले पर उठाए सवाल, आरोपी को जारी किया नोटिस
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 11 मार्च को मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया था कि निजी तौर पर बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री देखना अपराध नहीं है. वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि अकेले में चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना कोई अपराध नहीं है. हालांकि, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस फैसले पर हैरानी जताई. एचएस फुल्का ने कहा कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ मद्रास हाई कोर्ट के फैसले से हैरान हैं. CJI ने कहा कि यह स्पष्ट अपराध है और उन्होंने इस पर तमिलनाडु पुलिस और आरोपी को नोटिस भी जारी किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट इस तरह का फैसला कैसे सुना सकता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस और आरोपी को नोटिस भी जारी किया है. Read Also:  5 अगस्त को ब्लैक डे बताना और पाकिस्तान को 14 अगस्त की बधाई देना अपराध नहीं... सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी.

दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और निजी तौर पर देखना अपराध नहीं है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और उसे देखना POSCO और IT एक्ट के मुताबिक अपराध नहीं है और इस वजह से मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को भी रद्द कर दिया था.