
नई दिल्ली: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी ताहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण रोकने की आपातकालीन याचिका को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. राणा ने दलील दी थी कि वह पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम होने के कारण भारत में यातना झेल सकते हैं.
ताहव्वुर राणा, जो कि पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, ने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट के असोसिएट जस्टिस और नाइंथ सर्किट के जस्टिस के समक्ष "इमरजेंसी एप्लिकेशन फॉर स्टे" दायर की थी.
इस याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि भारत को प्रत्यर्पण करना अमेरिकी कानून और संयुक्त राष्ट्र की यातना-विरोधी संधि का उल्लंघन होगा, क्योंकि "भारत में प्रत्यर्पित किए जाने पर यातना का गंभीर खतरा है." उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम के रूप में उनकी स्थिति के कारण यह खतरा और अधिक बढ़ जाता है.
इसके अलावा, राणा ने अपनी "गंभीर चिकित्सा स्थिति" का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय जेलों में भेजे जाने से उनकी जान को गंभीर खतरा होगा. उन्होंने जुलाई 2024 की मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उनके कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का उल्लेख किया गया था. इनमें हृदयाघात, पार्किंसन रोग, मूत्राशय कैंसर का संदेह, स्टेज 3 क्रॉनिक किडनी डिजीज, अस्थमा और कोविड-19 संक्रमण शामिल हैं.
राणा ने अपनी अपील में कहा कि "यदि प्रत्यर्पण रोका नहीं गया, तो अमेरिका की अदालतें इस मामले पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं रख पाएंगी और जल्द ही मेरी मृत्यु हो सकती है."
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वॉशिंगटन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी. इस दौरान ट्रंप ने घोषणा की थी कि "बेहद खतरनाक" राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा ताकि उसे 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका के लिए न्याय का सामना करना पड़े.
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को दक्षिण मुंबई के आठ स्थानों पर आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी. बचाव अभियान 29 नवंबर को समाप्त हुआ था. राणा (64) पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी माना जाता है, जो 26/11 हमलों का एक मुख्य साजिशकर्ता था.