मियां-तियां और पाकिस्तानी कहना गलत है, लेकिन अपराध नहीं; सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
Supreme Court | PTI

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा बयान देते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति को 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहना भले ही गलत और अनुचित हो, लेकिन इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं माना जा सकता. यह मामला साल 2020 में झारखंड में दर्ज हुई एक एफआईआर से जुड़ा है.

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यह मामला झारखंड के बोकारो जिले का है. चास अनुमंडल कार्यालय में कार्यरत एक उर्दू ट्रांसलेटर और कार्यवाहक लिपिक (शिकायतकर्ता) ने हरि नंदन सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ साल 2020 में एफआईआर दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार, 18 नवंबर 2020 को सरकारी आदेश के तहत अपर समाहर्ता-सह-प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (Additional Collector-cum-First Appellate Authority) के निर्देश पर एक सरकारी चपरासी के साथ शिकायतकर्ता हरि नंदन सिंह के घर दस्तावेज सौंपने गए थे.

शिकायतकर्ता का आरोप था कि इस दौरान हरि नंदन सिंह ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर सांप्रदायिक टिप्पणी की, जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची. इस आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, तो शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान हरि नंदन सिंह को धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से अपमानजनक शब्दों का प्रयोग) के तहत दोषमुक्त कर दिया.

कोर्ट ने कहा, "किसी को 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहना गलत हो सकता है, लेकिन यह धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला अपराध नहीं माना जा सकता." कोर्ट ने कहा, "ऐसे शब्दों का प्रयोग अवांछनीय और असभ्य हो सकता है, लेकिन यह स्वतः दंडनीय अपराध नहीं बनता, जब तक यह स्पष्ट रूप से धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के इरादे से न कहा गया हो."

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