
कोच्चि, 04 जुलाई: केरल हाई कोर्ट ने एक उल्लेखनीय आदेश में कहा कि एक विवाहित महिला यह दावा नहीं कर सकती कि उसे शादी के झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि जब एक पक्ष पहले से ही विवाहित हो तो ऐसा वादा कोई कानूनी वैधता नहीं रखता है. यह टिप्पणी एक विवाहित महिला से कथित तौर पर 2.5 लाख रुपये उधार लेने और उसकी निजी तस्वीरें और वीडियो लीक करने की धमकी देने के बाद उसका यौन शोषण करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देते समय की गई. जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिकायत मुख्य रूप से वित्तीय विवाद से उपजी लगती है. 13 जून को गिरफ्तार किए गए आरोपी ने तर्क दिया कि बलात्कार का आरोप उसे पैसे वापस देने को मजबूर करने के लिए गढ़ा गया था. यह भी पढ़ें: ससुराल से विधवा को नहीं निकाला जा सकता, केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 का उल्लेख करते हुए, जो धोखे से प्राप्त यौन संबंध को अपराध मानती है, अदालत ने कहा कि ऐसा प्रावधान संभवतः यहां लागू नहीं होता, क्योंकि जब महिला पहले से ही विवाहित हो तो विवाह करने का वादा करने की अवधारणा कानूनी रूप से अस्तित्व में नहीं आती.
केरल है कोर्ट का ऑर्डर
▪In this case, Kerala HC granted anticipatory bail to a 24-year-old man accused of rape and charged u/s 64(1) BNS by a married woman after their romantic relationship turned sour.
▪Court observed, “Merely because a consensual relationship turned sour at a later point of time,… pic.twitter.com/5vc1CNzyNH
— Ekamnyaay (@ekamnyaay) July 3, 2025
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि बीएनएस की धारा 84 के तहत दूसरा आरोप - विवाहित महिला के साथ अवैध यौन संबंध से संबंधित जमानती है, और लंबे समय तक हिरासत में रखने की ज़रूरत नहीं है. प्रथम दृष्टया मजबूत सबूतों की कमी का हवाला देते हुए, बेंच ने जमानत की अनुमति दी, साथ ही कहा कि सेक्स से संबंधित प्रावधानों के दुरुपयोग से सावधान रहना चाहिए.