बिहार (Bihar) में मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार से मासूम लगातार काल के गाल में समाते जा रहे हैं. सोमवार को मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 100 पहुंच गई है. मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (SKMCH) और केजरीवाल अस्पताल में 375 बच्चे एडमिट हैं. चमकी बुखार से पीड़ित मासूमों की सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर के SKMCH में हुई हैं.
मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 12 जिलों में इस बीमारी का कहर लगातार बढ़ रहा है और अब तक कई मासूम तड़प-तड़प कर दम तोड़ चुके हैं. चमकी बुखार के मौत के इस कहर के सामने प्रशासन पूरी तरह लाचार नजर आ रहा है. इसकी रोकथाम को लेकर अब तक जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वो स्थिति को देखते हुए नाकाम साबित हो रही है. अस्पताल में नए मरीजों को लाए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
#UPDATE Sunil Kumar Shahi, Superintendent at Sri Krishna Medical College&Hospital (SKMCH): Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur rises to 100. #Bihar https://t.co/KsS4axA0zD
— ANI (@ANI) June 17, 2019
हालात इतने भयावह हैं कि रविवार को जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन अस्पताल हालत का जायजा लेने पहुंचे तो उनके सामने दो बच्चियों की मौत हो गई. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिवार को 4 लाख रुपए सहायता राशि देने की घोषणा की है. इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्राशसन और डॉक्टरों को इसबीमारी से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है.
बच्चों को चपेट में लेती है यह बीमारी
बता दें कि पिछले दो दशकों से यह बीमारी मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में होती है, जिसके कारण अब तक कई बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. परंतु अब तक सरकार इस बीमारी से लड़ने के कारगर उपाय नहीं ढूढ़ पाई है. कई चिकित्सक इस बीमारी को 'एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम' बताते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इस बुखार से पीड़ित और मरने वाले सभी बच्चों की उम्र 5 से 10 साल के बीच की है.
लीची में पाया जाने वाला तत्व है जानलेवा बिमारी का कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो अधपकी लीची एईएस का कारण हो सकता है. दरअसल लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. खास बात यह है कि एईएस से होने वाला बुखार फैलने का दौर अमूमन मुजफ्फरपुर जिले में लीची के उत्पादन के मौसम में होता है.
अब तक की रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि इस बीमारी की वजह से मरने वाले बच्चे लगभग दिनभर लीची खाते थे. उनके माता-पिता का कहना है कि जिले के लगभग सभी गांवों में लीची के बागान हैं और बच्चे दिन में वहीं खेलते हैं. यहां तक कि अधिकांश बच्चे तो दिन में लीची की वजह से खाना भी नहीं खाते हैं. जिसकी वजह से उनके शरीर में हाइपोग्लाइसीमिया बढ़ रहा था.
रिपोर्ट्स में सामने आई ये बात
रिपोर्ट्स के अनुसार बच्चों के यूरीन सैंपल की जांच से पता चला है कि दो-तिहाई बीमार बच्चों के शरीर में वही विषैला तत्व था, जो लीची के बीज में पाया जाता है. यह जहरीला तत्व अधपकी या कच्ची लीची में सबसे ज्यादा होता है. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम की वजह से दिमाग में बुखार चढ़ जाता है जिसकी वजह से कई बार मरीज कोमा में भी चला जाता है.
गर्मी, कुपोषण और आर्द्रता की वजह से यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है और अपना कुप्रभाव दिखाती है. चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा ही रहता है. बदन में ऐंठन होती है. बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं. कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है. यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है.