नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (BJP)के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को यहां एम्स में निधन हो गया. हालांकि एम्स (AIIMS) अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बचाने के हर संभव कोशिश किया. लेकिन उनके स्वास्थ में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं होने पर उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक है. हर कोई उनके आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि दे रहा है. अरुण जेटली अब इस दुनिया में नहीं है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि उन्होंने कैसे अपने छात्र जीवन से अपना राजनीतिक सफ़र शुरू करके उच्च शिकार तक पहुंचें थे.
अरुण जेटली का राजनीतिक करियर तो उनके छात्र रहते ही शुरू हो गया था. लेकिन उन्होंने 1973 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' शुरू किया. इस आंदोलन में विद्यार्थी और युवा संगठनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने अधिक से अधिक छात्रों को आंदोलन से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय समिति बनाई. जेपी ने जेटली को इस राष्ट्रीय समिति का संयोजक बनाया. आपातकाल के वक्त 19 महीने रहे नजरबंद जेटली वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने. यह भी पढ़े: नहीं रहे अरुण जेटली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी समेत विपक्ष के नेताओं ने जताया दुख, अमित शाह ने रद्द किया अपना दौरा
19 महीने तक रहे नजरबंद:
अरुण जेटली को 1975-77 तक देश में आपातकाल के दौरान उनको मीसा एक्ट के तहत 19 महीने तक नजरबंद रहना पड़ा. मीसा एक्ट हटने के बाद जेटली जनसंघ में शामिल हो गए. अटल ने कैबिनेट में किया शामिल वर्ष 1991 में पहली बार जेटली को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया. इसके बाद वह काफी लंबे वक्त तक भाजपा प्रवक्ता रहे. 1999 में एनडीए सरकार बनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जेटली को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया.
अटल कैबिनेट में मिली बड़ी जिम्मेदारी:
अटल के कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारियां तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कैबिनेट में जेटली को सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में जिम्मेदारी सौंपी. इसके अलावा निर्गुण राज्य (स्वतंत्र प्रभार), विश्व व्यापार संगठन मंत्रालय की जिम्मेदारी भी जेटली को सौंपी गई. 23 जुलाई 2000 को राम जेठमलानी ने अटल कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी अटल ने जेटली को सौंपी. राज्यसभा से शुरू हुआ संसद का सफर वर्ष 2006 में जेटली पहली बार राज्यसभा सांसद बने. जून 2009 से वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने. वे मोदी सरकार के 2014 के कार्यकाल में अमृतसर से चुनाव हारने के बाद भी मोदी सरकार में मंत्री बने.