नयी दिल्ली, 12 नवंबर दक्षिण पूर्वी दिल्ली में 25 वर्षीय एक महिला को अपने मृत पिता को दोबारा जीवित करने के लिए बलि के वास्ते एक शिशु का कथित तौर पर अपहरण करने को लेकर गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
उन्होंने कहा, “आरोपी महिला का नाम श्वेता है, वह कोटला मुबारकपुर की रहने वाली है। बच्चे को महिला से बचा लिया गया है।”
पुलिस ने कहा, “वह पहले लूटपाट और चोरी के दो मामलों में शामिल थी।”
उन्होंने कहा, “बृहस्पतिवार को शाम करीब चार बजे सूचना मिली कि गढ़ी क्षेत्र से एक अज्ञात महिला ने दो महीने के बच्चे का अपहरण किया।”
मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए उप निरीक्षक राजिंदर सिंह, हेड कांस्टेबल रविंदर गिरि, शेर सिंह, सचिन सरोहा, नीरज कुमार और दिनेश कुमार और महिला कांस्टेबल पूनम का एक दल बनाया गया। दल का नेतृत्व अमर कॉलोनी थाने के एसएचओ प्रदीप रावत ने किया।
पुलिस के अनुसार, शिशु की मां ने बताया कि अपहरणकर्ता उससे सफदरजंग अस्पताल में मिली थी और उसने खुद को जच्चा-बच्चा देखभाल के लिए काम करने वाले एक एनजीओ के सदस्य के रूप में पेश किया था।
पुलिस ने बताया, “श्वेता ने मां और बच्चे को मुफ्त दवा और परामर्श देने का वादा किया। बाद में, वह नवजात बच्चे की जांच के बहाने उनका पीछा करने लगी।”
बुधवार को आरोपी महिला गढी स्थित ममराज मोहल्ला में बच्चे की जांच करने के लिए उनके घर भी आयी थी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “बृहस्पतिवार को वह फिर उनके घर आई और बच्चे की मां को बच्चे को बाहर घुमाने के लिए सौंपने को राजी किया। मां ने अपनी 21 साल की भतीजी को श्वेता को साथ जाने को कहा।
अधिकारी ने कहा, “आरोपी महिला नीम चौक, गढ़ी आई और पीड़िता की भतीजी रितु के साथ नवजात को अपनी कार में बिठा लिया। रास्ते में अपहरणकर्ता ने रितु को कोल्ड ड्रिंक पिलाई, जिससे वह बेहोश हो गई। बाद में, अपहरणकर्ता ने रितु को गाजियाबाद में छोड़ दिया।”
पुलिस ने कहा, “कुछ होश में आने के बाद रितु ने अपने परिवार को जानकारी दी कि बच्चे का अपहरण हो चुका है।”
उन्होंने कहा, “जांच के दौरान, पुलिस ने क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज से वाहन के रजिस्ट्रेशन संख्या की पहचान की।”
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की शाम करीब 4 बजे सूचना मिली कि अपहरणकर्ता आर्य समाज मंदिर, कोटला मुबारकपुर के पास आएगी। पुलिस ने छापेमारी कर आरोपी को गिरफ्तार कर बच्चे को सुरक्षित बरामद कर लिया है।
अधिकारी ने कहा, “श्वेता ने खुलासा किया कि अक्टूबर में उसके पिता का देहांत हो गया था। अंतिम संस्कार के दौरान, उसे पता चला कि समान लिंग के शिशु की बलि देने से उसके पिता पुनर्जीवित हो सकते हैं।”
पुलिस ने कहा, “इस अंधविश्वास को अंजाम देने के लिए उसने इलाके में एक नवजात लड़के की तलाश शुरू कर दी। वह सफदरजंग अस्पताल के प्रसूति वार्ड में गई और उसने बताया कि वह एक एनजीओ में काम करती है, जो नवजात बच्चे और मां की देखभाल के लिए कार्य करता है।”
उन्होंने कहा, “महिला पीड़ित मां से मिली। बाद में, उनका विश्वास जीतने के लिए वह अक्सर बच्चे और मां से मिलने के लिए उनके घर जाया करती थी।”
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