नयी दिल्ली, 19 जून सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय साक्ष्यों पर आधारित नीति निर्माण को सक्षम करने और आवधिक अध्ययनों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी पर अपना ध्यान केंद्रित रखेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है।
सांख्यिकी सचिव सौरभ गर्ग ने ‘परिवार उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 पर डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का उपयोग एक ऐसी चीज है जिसपर हम आगे बढ़ने के साथ ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे। इसके जरिये यह सुनिश्चित करना है कि सर्वेक्षणों के बीच के समय अंतराल को कम किया जा सके।’’
उन्होंने एचसीईएस और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) का उदाहरण देते हुए कहा कि इनमें से कई सर्वेक्षण वार्षिक हैं लेकिन मंत्रालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इनमें से कौन से सर्वेक्षण तिमाही या मासिक आधार पर भी किए जा सकते हैं।
गर्ग ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि मंत्रालय पीएलएफएस को मासिक अध्ययन बनाने पर विचार कर रहा है। फिलहाल यह सर्वेक्षण तिमाही और वार्षिक आधार पर जारी किया जाता है।
मंत्रालय के अधीन संचालित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अप्रैल, 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) शुरू किया था। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों के लिए तीन महीने की छोटी अवधि में प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना है।
गर्ग ने कहा कि किसी भी निर्णयकर्ता के लिए सही समय पर डेटा उपलब्ध होना जानकारी-परक निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि मंत्रालय के सर्वेक्षणों में टैबलेट का उपयोग किया जाता है। ये टैबलेट जमीनी स्तर से ही डेटा अपलोड करने में सक्षम हैं, ताकि सर्वेक्षण और परिणामों की उपलब्धता के बीच होने वाली देरी कम हो।
इससे पहले प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के प्रमुख विवेक देबरॉय ने डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन का आयोजन कर अपनी छवि सुधारने के लिए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक समय इसे यथास्थिति और स्थायी बाधाओं का मंत्रालय कहा जाता था।
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