लॉकडाउन में रिक्शा और ठेला चालकों ने बदला कमाई का ढंग

लॉकडाउन के दौरान सरकार ने फलों और सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की फेहरिस्त में शामिल किया है, लिहाजा इन्हें बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है।

एजेंसी न्यूज Bhasha|
लॉकडाउन में रिक्शा और ठेला चालकों ने बदला कमाई का ढंग

लखनऊ, नौ अप्रैल लॉकडाउन के कारण काम ठप होने के बाद लखनऊ के रिक्शा चालकों और फास्ट फूड का ठेला लगाने वाले लोगों ने दो वक्त की रोटी जुटाने का नया तरीका अपना लिया है। अब वे अपने वाहन पर सब्जी और फल लादकर शहर की गली-गली में बेच रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान सरकार ने फलों और सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की फेहरिस्त में शामिल किया है, लिहाजा इन्हें बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है।

गोमती नगर में ठेले पर नूडल्स का स्टॉल लगाने वाला राजू भी अब बदले हालात में अपने ठेले पर सब्जी बेचता है।

राजू ने बताया "मैं गोमती नगर में ठेले पर चाउमीन का स्टॉल लगाता था। कोरोना की वजह से लॉकडाउन के बाद दो वक्त की रोटी का जुगाड़ बहुत मुश्किल हो गया था। मैं जीने के लिए आसपास के लोगों और प्रशासन की मदद पर निर्भर हो गया, लेकिन अब मैंने अपने ठेले पर सब्जियां बेचना शुरू कर दिया है।"

जिला प्रशासन भी लॉकडाउन को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए जरूरी सामान की होम डिलीवरी पर जोर दे रहा है। ऐसे में यह रिक्शा और ठेला गाड़ियां न सिर्फ प्रशासन की योजना को पूरा कर रही हैं बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

राजू जैसे अनेक अन्य मेहनतकश लोग भी अपने ठेलों और ई रिक्शा पर सब्जी तथा फल रखकर विभिन्न कॉलोनियों में लोगों के दरवाजे पर जाकर बेच रहे हैं।

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लॉकडाउन में रिक्शा और ठेला चालकों ने बदला कमाई का ढंग

लॉकडाउन के दौरान सरकार ने फलों और सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की फेहरिस्त में शामिल किया है, लिहाजा इन्हें बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है।

एजेंसी न्यूज Bhasha|
लॉकडाउन में रिक्शा और ठेला चालकों ने बदला कमाई का ढंग

लखनऊ, नौ अप्रैल लॉकडाउन के कारण काम ठप होने के बाद लखनऊ के रिक्शा चालकों और फास्ट फूड का ठेला लगाने वाले लोगों ने दो वक्त की रोटी जुटाने का नया तरीका अपना लिया है। अब वे अपने वाहन पर सब्जी और फल लादकर शहर की गली-गली में बेच रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान सरकार ने फलों और सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की फेहरिस्त में शामिल किया है, लिहाजा इन्हें बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है।

गोमती नगर में ठेले पर नूडल्स का स्टॉल लगाने वाला राजू भी अब बदले हालात में अपने ठेले पर सब्जी बेचता है।

राजू ने बताया "मैं गोमती नगर में ठेले पर चाउमीन का स्टॉल लगाता था। कोरोना की वजह से लॉकडाउन के बाद दो वक्त की रोटी का जुगाड़ बहुत मुश्किल हो गया था। मैं जीने के लिए आसपास के लोगों और प्रशासन की मदद पर निर्भर हो गया, लेकिन अब मैंने अपने ठेले पर सब्जियां बेचना शुरू कर दिया है।"

जिला प्रशासन भी लॉकडाउन को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए जरूरी सामान की होम डिलीवरी पर जोर दे रहा है। ऐसे में यह रिक्शा और ठेला गाड़ियां न सिर्फ प्रशासन की योजना को पूरा कर रही हैं बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

राजू जैसे अनेक अन्य मेहनतकश लोग भी अपने ठेलों और ई रिक्शा पर सब्जी तथा फल रखकर विभिन्न कॉलोनियों में लोगों के दरवाजे पर जाकर बेच रहे हैं।

मोमो बेचने वाले निकुंज गुप्ता की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। लॉकडाउन होने के बाद उनके पास घर में बैठने का विकल्प मौजूद था, क्योंकि पड़ोसियों की मदद से उनके पास खाने की पर्याप्त सामग्री थी लेकिन उन्होंने आत्मनिर्भरता को तरजीह दी।

उन्होंने कहा "मेरे पड़ोसी बहुत दयालु हैं और उनकी वजह से मेरे पास खाने के लिए पर्याप्त अनाज था। मैंने किराए पर एक ठेला लिया और अब जिला प्रशासन की इजाजत से गली-गली जाकर सब्जी बेचता हूं।"

इसी तरह, ई रिक्शा चलाने वाले पंकज भारतीय के लिए भी लॉकडाउन के बाद रोजी रोटी कमाना दूभर हो गया था। मगर अब वह भी प्रशासन की इजाजत से सब्जी बेचकर अपना गुजारा आसानी से कर पा रहे हैं।

पंकज ने बताया "जब मैं ई रिक्शा चलाता था तब ज्यादा नहीं कमा पाता था लेकिन अब मैं अपने ई रिक्शा पर सब्जी रख कर बेच रहा हूं और अपने परिवार के लिए ठीक-ठाक कमाई कर लेता हूं। इस दौरान मैं सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखता हूं।"

इस बीच, जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया" लॉकडाउन को पूरी तरह लागू करने के लिए हमें घर घर जाकर जरूरी सामान उपलब्ध कराने के लिए ज्यादा से ज्यादा सहयोगी हाथों की जरूरत है। यह रिक्शा और ठेला चालक इस दिशा में बेहतरीन काम करके प्रशासन की मदद कर रहे हैं।

जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि जिला प्रशासन इस बात की पूरी कोशिश कर रहा है कि सब्जियों और राशन की कहीं कोई कमी न होने पाए और ये चीजें हर किसी को उसके दरवाजे पर मुहैया हो सके।

उन्होंने बताया कि बुधवार को 27000 से ज्यादा लोगों को उनके दरवाजे पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई गईं।

सलीम

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)

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इसी तरह, ई रिक्शा चलाने वाले पंकज भारतीय के लिए भी लॉकडाउन के बाद रोजी रोटी कमाना दूभर हो गया था। मगर अब वह भी प्रशासन की इजाजत से सब्जी बेचकर अपना गुजारा आसानी से कर पा रहे हैं।

पंकज ने बताया "जब मैं ई रिक्शा चलाता था तब ज्यादा नहीं कमा पाता था लेकिन अब मैं अपने ई रिक्शा पर सब्जी रख कर बेच रहा हूं और अपने परिवार के लिए ठीक-ठाक कमाई कर लेता हूं। इस दौरान मैं सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखता हूं।"

इस बीच, जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया" लॉकडाउन को पूरी तरह लागू करने के लिए हमें घर घर जाकर जरूरी सामान उपलब्ध कराने के लिए ज्यादा से ज्यादा सहयोगी हाथों की जरूरत है। यह रिक्शा और ठेला चालक इस दिशा में बेहतरीन काम करके प्रशासन की मदद कर रहे हैं।

जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि जिला प्रशासन इस बात की पूरी कोशिश कर रहा है कि सब्जियों और राशन की कहीं कोई कमी न होने पाए और ये चीजें हर किसी को उसके दरवाजे पर मुहैया हो सके।

उन्होंने बताया कि बुधवार को 27000 से ज्यादा लोगों को उनके दरवाजे पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई गईं।

सलीम

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