Elgar Council Case: एनआईए ने शोमा कांति सेन की मेडिकल जमानत याचिका का विरोध
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नयी दिल्ली, 30 नवंबर : राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले (Council-Maoist Relations Matters) की आरोपी शोमा कांति सेन की स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत संबंधी याचिका का बृहस्पतिवार को पुरजोर विरोध किया और कहा कि वह सामान्य बीमारियों से पीड़ित हैं और इसमें कुछ खास नहीं है. एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को बताया कि महिला अधिकार कार्यकर्ता सेन की चिकित्सकीय स्थिति के सत्यापन के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जा सकता है और ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता हो

नटराज ने पीठ द्वारा चिकित्सा के आधार पर जमानत देने की इच्छा व्यक्त करने के बाद कहा, ‘‘मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि ये सामान्य बीमारियां हैं और इसमें कुछ खास नहीं है. यदि आवश्यक हुआ, तो हम उनकी स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे.’’ सेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि वह पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सेन को किसी प्रकार की राहत दिये जाने का कड़ा विरोध किया और कहा कि वह जमानत से संबंधित मुख्य मामले पर बहस करने के लिए तैयार हैं. इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई छह दिसंबर को करेगी. शीर्ष अदालत ने पहले स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत की मांग करने वाली सेन की अर्जी पर एनआईए और महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब किया था. यह भी पढ़ें : कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने ‘आरोग्य कवच-108’ योजना के तहत 262 नयी एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाई

अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर और महिला अधिकार कार्यकर्ता सेन को मामले के सिलसिले में छह जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया था. शीर्ष अदालत बंबई उच्च न्यायालय के 17 जनवरी के उस आदेश को चुनौती देने वाली सेन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें जमानत के लिए विशेष एनआईए अदालत से संपर्क करने का निर्देश दिया गया था. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे शहर के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि सम्मेलन के अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था.