डॉनल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को मिलने व्हाइट हाउस बुलाया
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिका ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते व्हाइट हाउस में वहां के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मिलेंगे. अमेरिका का अपने पड़ोसियों के खिलाफ व्यापार युद्ध भारत के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है.अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्हाइट हाउस में मिलने बुलाया है. व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी. यह मुलाकात ऐसे वक्त में हो रही है जब अमेरिका ने चीन, कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं.

नरेंद्र मोदी 12 और 13 फरवरी को अमेरिका का दौरा करेंगे. उससे पहले वह 11 फरवरी को फ्रांस जाएंगे.

हालांकि कनाडा और मेक्सिको की तीखी प्रतिक्रियाओं के बाद ट्रंप ने टैरिफ पर एक महीने के लिए रोक लगा दी है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यापार युद्ध से अमेरिका के लिए इन देशों से सामान खरीदना महंगा हो जाएगा. ट्रंप की रणनीति को लेकर बाजार में भारी अनिश्चितता है. ऐसे में अमेरिकी कंपनियां नए सप्लायर ढूंढ रही हैं. भारत के लिए यह बड़ा मौका है. अगर भारतीय कंपनियां उत्पादन बढ़ाएं और अमेरिकी मानकों को पूरा करें, तो वे इस खाली जगह को भर सकती हैं.

भारत को फायदा कैसे होगा?

अमेरिका ने आयात शुल्क इसलिए लगाया है ताकि चीन पर निर्भरता कम हो और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले. लेकिन इस शुल्क की वजह से चीन, कनाडा और मेक्सिको के सामान अब महंगे हो जाएंगे. इससे अमेरिकी कंपनियां सस्ता और भरोसेमंद विकल्प तलाशेंगी.

अमेरिका में भारतीय सामानों की मांग पहले से ही बढ़ रही है. वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर 2024) में भारत का अमेरिका को निर्यात 5.57 फीसदी बढ़कर 60 अरब डॉलर पहुंच गया.

2023-24 में भारत और अमेरिका के बीच कुल व्यापार 118 अरब डॉलर पार कर गया, जिसमें भारत को 32 अरब डॉलर का व्यापार सरप्लस मिला. यानी भारत ने अमेरिका को ज्यादा सामान बेचा, बनिस्बत इसके कि उसने अमेरिका से खरीदा.

अब जब अमेरिका ने चीन, मेक्सिको और कनाडा पर टैरिफ बढ़ाने का एलान किया है, तो भारत का निर्यात और ज्यादा बढ़ने की संभावना बनती है.

किन सेक्टर्स को फायदा मिलेगा?

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने इकोनॉमिक टाइम्स अखबार को बताया कि भारत को इसका पूरा फायदा उठाने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी और दाम प्रतिस्पर्धी रखने होंगे.

उन्होंने कुछ ऐसे सेक्टर गिनाए हैं, जिन्हें अमेरिका में सबसे ज्यादा फायदा मिल सकता है. इनमें इलेक्ट्रिकल मशीनरी और कंपोनेंट्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, मोबाइल फोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स (दवाइयां), केमिकल्स और स्पेशलिटी केमिकल्स और टेक्सटाइल, कपड़े और होम फर्निशिंग शामिल हैं.

2023-24 में भारत ने अमेरिका को 8.5 अरब डॉलर का इलेक्ट्रिकल उपकरण और 10.4 अरब डॉलर की दवाइयां भेजी थीं. अब यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.

भारत का ऑटो कंपोनेंट सेक्टर भी इस बदलाव का बड़ा फायदा उठा सकता है. पिछले साल भारत ने अमेरिका को 2 अरब डॉलर के ऑटो पार्ट्स निर्यात किए. अब जब अमेरिकी कंपनियां चीन और मेक्सिको से दूरी बना रही हैं, तो भारत को ज्यादा ऑर्डर मिल सकते हैं.

व्यापार वार्ता: चुनौतियां और मौके

हालांकि यह मौका सुनहरा है, लेकिन चुनौतियां भी हैं. ट्रंप पहले भी भारत के ऊंचे इंपोर्ट टैक्स पर नाराजगी जता चुके हैं. उन्होंने भारत को "टैरिफ किंग” तक कह दिया था. अमेरिका चाहता है कि भारत उसके मेडिकल डिवाइसेस, डेयरी प्रोडक्ट्स और आईटी सर्विसेज के लिए बाजार खोले. वहीं, भारत जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) का दर्जा वापस चाहता है. इस व्यापार योजना के तहत भारत को अमेरिका में कुछ उत्पाद बिना टैक्स के भेजने की छूट थी, लेकिन ट्रंप ने 2019 में इसे खत्म कर दिया था.

ट्रंप ने 27 जनवरी को नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की थी. इसमें उन्होंने अवैध प्रवासियों को वापस लेने को कहा था. साथ ही भारत द्वारा और ज्यादा अमेरिकी निर्मित सुरक्षा उपकरण खरीदने तथा निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के महत्व पर जोर दिया. अमेरिका वहां रह रहे लगभग 18 हजार अवैध भारतीय प्रवासियों को लौटाना चाहता है. इसके लिए पहली फ्लाइट ने सोमवार 3 फरवरी को उड़ान भरी जो भारतीय समय के मुताबिक मंगलवार 4 फरवरी को किसी समय भारत पहुंचेगी.

मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा में इन मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है. अगर दोनों देश किसी व्यापार समझौते पर पहुंचते हैं, तो भारतीय निर्यातकों के लिए यह एक बड़ा कदम होगा.

चीन फैक्टर: क्या भारत बनेगा नया सप्लायर?

व्यापार के अलावा, अमेरिका की रणनीति में चीन भी अहम मुद्दा है. अमेरिका नहीं चाहता कि चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था पर हावी हो. भारत एक बड़ा विकल्प बन सकता है.

भारत भी चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है. खासकर सेमीकंडक्टर्स, रेयर अर्थ मिनरल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में. अगर अमेरिका भारत को सहयोग दे, तो दोनों देश मिलकर चीन को आर्थिक टक्कर दे सकते हैं.

हालांकि अमेरिका में भारतीय सामानों की मांग बढ़ रही है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अपनी उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता मानकों को सुधारना होगा. उसे अपना उत्पादन बढ़ाना होगा, खासकर हाई-टेक सेक्टर में. साथ ही दवाइयां, केमिकल्स और ऑटो पार्ट्स जैसे सेक्टर में अमेरिका के सख्त मानकों को पूरा करना जरूरी है. 2022 में भारत में बनी दवाओं के कारण अमेरिका और अन्य देशों में लोगों के बीमार होने के बाद दवा उद्योग को लेकर अमेरिका का रुख काफी सख्त हो गया है.

मोदी की यह अमेरिका यात्रा भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकती है. अगर दोनों नेता व्यापार विवाद सुलझा लें और नए समझौते करें, तो भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन सकता है.

अमेरिकी कंपनियां नए सप्लायरों की तलाश में हैं और भारत तेजी से वैश्विक बाजार में अपनी जगह बना रहा है. आने वाले समय में, भारत और अमेरिका का व्यापार नए मौके पैदा कर सकता है.