पटना,चार दिसंबर बिहार सरकार ने अपने 12 विभागों के शीर्ष अधिकारियों को राज्य में महिला सशक्तिकरण और लैंगिक आधार पर हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
बिहार सरकार ने यह निर्देश केंद्र द्वारा एक महीना तक चलने वाले अभियान ‘नई चेतना’ के तीसरे चरण के तहत दिया है जो लैंगिक आधार पर हिंसा के खिलाफ एक राष्ट्रीय अभियान है।
लैंगिक आधार पर हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान ‘नई चेतना’ का तीसरा संस्करण 25 नवंबर को केंद्र द्वारा शुरू किया गया था और यह इस साल 23 दिसंबर तक जारी रहेगा।
एक विज्ञप्ति के मुताबिक बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा जल्द ही राज्य सरकार के 12 विभागों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाएंगे, जिसमें ‘नई चेतना’ (3.0) अभियान के तहत संबंधित विभागों द्वारा तैयार की जा रही कार्ययोजना और संयुक्त गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी।
राज्य के समाज कल्याण विभाग को अभियान के तहत सभी विभागों के साथ समन्वय करने के लिए नोडल विभाग नामित किया गया है।
बिहार सरकार को हाल ही में केंद्र सरकार के आठ सहयोगी मंत्रालयों/विभागों द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतर-मंत्रालयी संयुक्त परामर्श प्राप्त हुआ, जिसमें राज्य में ‘नई चेतना’ (3.0) के दौरान की जाने वाली गतिविधियों की एक सूची भेजने का अनुरोध किया गया था।
केंद्र द्वारा राज्यों के सभी मुख्य सचिवों और प्रशासकों को यह परामर्श भेजा गया था।
बिहार के समाज कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव (एसीएस) और महिला एवं बाल विकास निगम (डब्ल्यूसीडीसी) की अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बमराह ने ग्यारह अन्य विभागों के प्रमुखों को दो दिसंबर को एक पत्र लिखकर तत्काल एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया।
उन्होंने पत्र में साथ ही लैंगिक आधार पर हिंसा के मुद्दों की पहचान करने और उनका समाधान करने के लिए जागरूकता फैलाने एवं क्षमता बढ़ाने के लिए संयुक्त गतिविधियों की योजना बनाने को भी कहा है।
एसीएस ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘सभी संबंधित विभागों से अनुरोध है कि वे एक सप्ताह के भीतर इस संबंध में अपनी कार्ययोजना और संयुक्त गतिविधियों की योजना एसडब्ल्यूडी को भेजें।’’
बमराह ने बुधवार को ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘लैंगिक आधार पर हिंसा (जीबीवी) के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है। देश के साथ-साथ राज्य में भी लैंगिक समानता के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद एक महत्वपूर्ण चुनौती ‘ लैंगिक आधार पर हिंसा’ (जीबीवी) है।’’
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