नयी दिल्ली, 10 फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ‘‘जलवायु न्याय’’ को जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की राह करार दिया और विकासशील देशों को विकास करने का अवसर दिए जाने का आह्वान किया।
सतत विकास की दिशा में लीक से हटकर काम किए जाने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सही रास्ते पर है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन-2021’ का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में मानवता की प्रगति दो बातों से निर्धारित होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों का स्वास्थ्य और पृथ्वी की सेहत। ये दोनों आपस में जुड़े हुए है।
मोदी ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए लगातार चर्चा चल रही है लेकिन यहां पृथ्वी की सेहत पर चर्चा के लिए सभी एकत्रित हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस चुनौती की व्यापकता का अंदाजा सभी को है लेकिन इसका समाधान हम पारम्परिक तरीकों से नहीं कर सकते। इसके लिए हमें लीक से हटकर सोचना होगा, युवाओं को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना होगा और सतत विकास की दिशा में काम करना होगा।’’
मोदी ने कहा, ‘‘जलवायु न्याय का मतलब यह भी है कि विकासशील देशों को विकास करने का अवसर दिया जाए और अधिक से अधिक सहयोग किया जाए।’’
पेरिस समझौते का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत इसके लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही राह पर है।
मोदी ने कहा कि भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता वर्ष 2005 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने उत्सर्जन तीव्रता 24 प्रतिशत कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है।
उन्होंने कहा कि भारत के इन इरादों को ठोस समर्थन प्राप्त है और आम लोगों के प्रयास की शक्ति से पेरिस में लिए गए निर्णयों से अधिक लक्ष्य प्राप्त कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एकजुटता और नवाचार के माध्यम से ही सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘साझा प्रयासों से ही सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है और इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में भारत अपनी भूमिका के लिए तैयार है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं।
उन्होंने कहा कि आठ करोड़ से ज्यादा घरों में उज्ज्वला योजना के जरिए स्वच्छ ईंधन पहुंचा और भारत इथेनॉल के इस्तेमाल को भी बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत ने 2030 तक 450 गीगावॉट का अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
इस शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय ‘‘सबके लिए सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण और हमारा साझा भविष्य’’ है।
नई दिल्ली स्थित ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीटयूट’ (टेरी) की ओर से आयोजित यह 20वां शिखर सम्मेलन है, जिसमें विश्व में सतत विकास को लेकर दो दिनों तक चर्चा होगी।
इस शिखर सम्मेलन को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी इस कार्यक्रम में शरीक हुए।
गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे, मालदीव की पीपुल्स मजलिस के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद, संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव अमीना जे मोहम्मद भी इस सम्मेलन में शामिल हुए।
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