Maharashtra Liquor Price Hike: अब शराब खरीदने के लिए करनी होगी जेब ज्यादा ढ़ीली! महाराष्ट्र में हुई महंगी, देसी और विदेशी ब्रांड में भारी बढ़ोतरी
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Maharashtra Liquor Price Hike: महाराष्ट्र की सरकार ने शराब पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया है. जिसके बाद अब इसका सीधा असर शराब पीने वालों पर होगा. शराब की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी होगी.मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.नए नियमों के तहत Indian Made Foreign Liquor (IMFL) पर अब घोषित निर्माण लागत के तीन गुना के बजाय 4.5 गुना तक उत्पाद शुल्क लगेगा.

वहीं देशी शराब पर शुल्क 180 रूपए से बढ़ाकर 205 रूपए प्रति प्रूफ लीटर कर दिया गया है.ये भी पढ़े:Liquor Rates Will Increase: महाराष्ट्र में बढ़ेंगे शराब के दाम, रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकार बढ़ा सकती है टैक्स

180 ml बोतलों की नई न्यूनतम खुदरा कीमतें घोषित

सरकार ने विभिन्न श्रेणियों की शराब के लिए नई न्यूनतम खुदरा मूल्य (MRP) भी घोषित किए हैं:

देशी शराब: 80 रूपए।

महाराष्ट्र मेड लिकर (MML): 148 रूपए।

आईएमएफएल: 205 रूपए।

प्रीमियम विदेशी शराब: 360 रूपए।

स्थानीय निर्माण के लिए शुरू की गई नई श्रेणी: अनाज आधारित एमएमएल

सीएमओ के अनुसार, राज्य सरकार ने एक नई श्रेणी ‘अनाज आधारित महाराष्ट्र मेड लिकर (MML)’ शुरू की है, जो केवल स्थानीय उत्पादकों द्वारा बनाई जाएगी.इन ब्रांडों को नए सिरे से पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कराना होगा. यह कदम अन्य राज्यों की नीतियों और कर ढांचे का अध्ययन करने के बाद उठाया गया है.

उत्पाद शुल्क विभाग में बड़ा प्रशासनिक बदलाव

शराब नीति में सुधार के साथ-साथ उत्पाद शुल्क विभाग की संरचना में भी बड़ा बदलाव किया गया है:

AI आधारित नियंत्रण सेल बनाया जाएगा जो डिस्टिलरी, बॉटलिंग प्लांट और थोक लाइसेंसियों की निगरानी करेगा।

मुंबई में एक नया डिवीजनल ऑफिस तथा 6 सुपरिंटेंडेंट लेवल ऑफिस (मुंबई, ठाणे, पुणे, नाशिक, नागपुर, अहिल्यनगर) स्थापित किए जाएंगे।

FL-2 (सीलबंद बोतलों की रिटेल बिक्री) और FL-3 (स्थल पर उपभोग) लाइसेंस अब एग्रीमेंट के माध्यम से ऑपरेट किए जा सकेंगे — इसके लिए क्रमशः 15% और 10% अतिरिक्त शुल्क लगेगा।

1,223 नई नियुक्तियों को मंजूरी दी गई है, जिसमें 744 नियमित और 479 पर्यवेक्षणीय पद शामिल हैं

सरकार का उद्देश्य

सीएमओ के अनुसार, यह पूरा सुधार पैकेज उत्पाद शुल्क प्रणाली का आधुनिकीकरण, पारदर्शिता में वृद्धि और राजस्व में अनुमानित 14,000 हजार करोड़ सालाना बढ़ोतरी के लिए किया गया है.