जरुरी जानकारी | केन्द्र, राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा इस वित्त वर्ष में हो सकता है दोगुना: रिपोर्ट

मुंबई, 30 अक्टूबर कोविड- 19 महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों को लगे झटके और इस दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिये किये गये अतिरिक्त खर्च के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान केन्द्र और राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले करीब दुगुना होगा। एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।

राजकोषीय घाटा बढ़ने के साथ ही सरकार का सकल रिण जो कि काफी लंबे समय तक जीडीपी के 70 प्रतिशत तक रहा है इस साल 80 प्रतिशत से ऊपर निकल कर 75.6 लाख करोड़ रुपये यानी 1,010 अरब डालर तक पहुंच सकता है। इस स्थिति में पहुंचने पर भारत एशिया महाद्वीप में चीन के बाद सबसे अधिक कर्ज वाला देश बन जायेगा।

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सिंगापुर के बैंक डीबीएस की अर्थशास्त्री राधिका राव ने शुक्रवार को जारी एक नोट में यह अनुमान व्यक्त किये हैं। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019- 20 में केन्द्र और राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा सात प्रतिशत से ऊपर रहा है। इससे पहले पिछले पांच साल के दौरान यह औसतन 6.6 प्रतिशत पर रहा। केन्द्र सरकार ने 2015- 16 से लेकर 2018- 19 तक लगातार चार साल राजकोषीय घाटे को जीडीपी के चार प्रतिशत से नीचे रखने में सफलता पाई लेकिन इसके बाद 2019- 20 में राजस्व प्राप्ति कम रहने और अधिक व्यय के चलते 4.6 प्रतिशत तक पहुंच गया।

राधिका राव ने कहा, ‘‘महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर बने दबाव से चालू वित्त वर्ष के दौरान केन्द्र, राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा बढ़कर 13 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।’’

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उन्होंने कहा कि सरकार का कर्ज पिछले तीन साल के दौरान उससे पहले के ऊंचे स्तर से गिरता हुआ औसतन 70 प्रतिशत के आसपास रह गया था लेकिन उसके बाद महामारी की वजह से आर्थिक गतिविधियों को लगे झटके और जरूरतों को पूरा करने के लिये बढ़ी उधारी से कर्ज का स्तर इस साल 80 प्रतिशत से आगे निकल जाने का अनुमान है।

रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2020 के अंत में (बॉंड और टी- बिलों सहित) सहित केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों की राशि 75.6 लाख करोड़ रुपये यानी 1,010 अरब डालर थी। वहीं इसदौरान राज्यों का बकाया जिसे राज्य विकास रिण कहा जाता है 34 लाख करोड़ रुपये यानी 459 अरब डालर पर था। यह राशि सरकारी प्रतिभूतियों के बकाया का करीब आधी है।

राज्यों में वित्त वर्ष 2018- 19 के दौरान सबसे ज्यादा प्रतिभूतियां जारी करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिल नाडु, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। इन पांच राज्यों ने सभी राज्यों द्वारा जारी प्रतिभूतियों के मुकाबले आधे से अधिक जारी की हैं वहीं शीर्ष 10 राज्यों ने कुल राशि का 75 प्रतिशत तक बाजार से जुटाया है।

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