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कैसा है यह ग्रह ?
‘जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप’ द्वारा खोजे गए इस ग्रह को LHS-475B नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से सिर्फ 41 प्रकाश वर्ष दूर, नक्षत्र ऑक्टान में है. ‘एक्सोप्लैनेट’ या गैर-सौरीय ग्रह ऐसे ग्रह को कहा जाता है जो हमारे सौर मण्डल से बाहर स्थित हो.
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह ग्रह एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है जो सूर्य के तापमान के आधे से भी कम है. LHS-475B हमारे सौर मंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में अपने तारे के ज्यादा करीब है. उसे एक पूर्ण कक्षा को पूरा करने में सिर्फ दो दिन का समय लगता हैं.
वेब टेलीस्कोप के अवलोकनों ने यह भी संकेत दिया कि एक्सोप्लैनेट पृथ्वी की तुलना में लगभग 100 डिग्री अधिक गर्म है. खोजा गया ग्रह लगभग हमारी पृथ्वी के समान है, यह पृथ्वी के व्यास के 99% पर है.
शोध दल का नेतृत्व कर रहे दो प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक ‘जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी लॉरेल’ के केविन स्टीवेन्सन ने कहा “ऐसा कोई सवाल ही नहीं है कि यह एक ग्रह है या नहीं. वेब का पुराना डेटा इसे मान्यता देता है.” दूसरे प्रमुख वैज्ञानिक लस्टिग-येगर ने कहा कि “तथ्य यह है कि यह एक छोटा, चट्टानी ग्रह है, जो वेधशाला के लिए प्रभावशीलता पैदा करता है.”
खोजकर्ता टीम ने कहा कि “हालांकि यह संभव है कि शायद ग्रह का कोई वातावरण ही न हो लेकिन कुछ वायुमंडलीय रचनाएं मिली हैं जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता है, जैसे कि वहाँ शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण मिलने के संकेत मिले हैं.”
टीम का नेतृत्व कर रहे प्रमुख वैज्ञानिक लस्टिग-येगर ने कहा,
“प्रतिरोधात्मक रूप से, 100% कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण इतना अधिक कॉम्पैक्ट है कि इसका पता लगाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
” साइट पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि “खोजकर्ता टीम के लिए शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण को बिल्कुल भी वातावरण से अलग करने के लिए कोई सटीक माप की आवश्यकता नहीं होती है.’’
इस ग्रह के विषय में शोधकर्ताओं ने कहा कि “शोध यह निष्कर्ष निकालने के लिए प्रेरित करता है कि ग्रह शुक्र की तरह अधिक गर्म है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड का वातावरण है और जो घने बादलों में हमेशा डूबा रहता है.’’
वैज्ञानिक लुस्टिग येगर ने कहा, “हम छोटे, चट्टानी एक्सोप्लैनेट्स का अध्ययन करने में सबसे आगे हैं.” “हमने मुश्किल से सतह को खंगालना शुरू किया है यह जानने के लिए कि उनका वातावरण कैसा हो सकता है.”
इस ग्रह को कैसे खोज गया ?
शोधकर्ताओं की टीम ने नासा के ‘ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS)’ से रुचि के लक्ष्यों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करने के बाद वेब के साथ इस लक्ष्य का निरीक्षण करना चुना, जिसने हमारे सौर मण्डल के बाहर एक पृथ्वी जैसे ग्रह के अस्तित्व का संकेत दिया था. जिसके बाद वेब के ‘नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ’ (NIRSpec) ने केवल दो पारगमन प्रेक्षणों के साथ ग्रह को आसानी से और स्पष्ट रूप से कैप्चर कर दिया.
वर्तमान में सभी ऑपरेटिंग टेलीस्कोपों के बीच, केवल वेब ही पृथ्वी के आकार के एक्सोप्लैनेट्स के वायुमंडल को चिह्नित करने में सक्षम है. टीम ने इसके संचरण स्पेक्ट्रम का विश्लेषण करके यह आकलन करने का प्रयास किया कि ग्रह के वातावरण में क्या है. जिसके बाद डेटा से पता चला कि यह पृथ्वी के आकार का एक स्थलीय ग्रह है.
‘जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी’ के एरिन ने कहा, “वेधशाला के डेटा सुंदर हैं.’’ उन्होंने बताया कि “टेलीस्कोप इतना संवेदनशील है कि यह आसानी से अणुओं की एक श्रृंखला का पता लगा सकता है’’
शोधकर्ताओं ने पृथ्वी से लगभग 15,00,000 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष के निर्वात में एक वर्ष से अधिक समय बिताने के बाद हमारे सौरमंडल के बाहर अपने पहले ग्रह की खोज की पुष्टि की.
अब आगे क्या शोध होगें ?
वाशिंगटन में नासा मुख्यालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक मार्क क्लैम्पिन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि , “पृथ्वी के आकार के चट्टानी ग्रह से ये पहले अवलोकन संबंधी परिणाम वेब के साथ चट्टानी ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए भविष्य की कई संभावनाओं का द्वार खोलते हैं.” उन्होंने आगे कहा कि “वेब हमें हमारे सौर मंडल के बाहर पृथ्वी जैसी दुनिया की एक नई समझ के करीब ला रहा है, और ये मिशन अभी शुरू हो रहा है.”
वेब टेलीस्कोप यह पुष्टि करने में सक्षम था कि एलएचएस 475 बी पृथ्वी के आकार का एक स्थलीय ग्रह है, लेकिन शोधकर्ता अभी तक यह नहीं जानते हैं कि एक्सोप्लैनेट या नए ग्रह में वायुमंडल है या नहीं.
यह शोधकर्ताओं को यह देखने में मदद करता है कि एक्सोप्लैनेट के वातावरण में कुछ तत्व या अणु मौजूद हैं या नहीं. उदाहरण के लिए, ये इस बात की जानकारी दे सकते हैं कि एक ग्रह में हाइड्रोजन समृद्ध वातावरण है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड है या मीथेन की अधिकता वाला वातावरण है.
जैकब लस्टिग येगर ने कहा, ”हमारे खगोलविद आने वाले गर्मियों के दिनों में फिर से ग्रह का निरीक्षण करेंगे और अन्य जानकारियों को पता लगाने की कोशिश करेंगे.
टेलीस्कोप से फिलहाल इतना पता चल पाया है कि यह ग्रह पृथ्वी से कई सौ डिग्री ज्यादा गर्म है, इसलिए यह इंसानों के रहने लायक नहीं है. अगर रिसर्च करने वालों को आगे इस ग्रह पर किसी तरह के बादल मिलते हैं तो यह लगभग शुक्र ग्रह कि तरह होगा.”
क्या है जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ?
यह टेलीस्कोप नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था.
यह वर्तमान में अंतरिक्ष में एक बिंदु पर है जिसे सूर्य-पृथ्वी L2 लैग्रेंज बिंदु के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है. लैग्रेंज प्वाइंट 2 पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के कक्षीय तल के पाँच बिंदुओं में से एक है. इसका नाम इतालवी- फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया. यह बिंदु पृथ्वी और सूर्य जैसे किसी भी घूर्णन करने वाले दो पिंडों में विद्यमान होते हैंं जहाँ दो बड़े निकायों के गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को संतुलित कर देते हैं.
इन स्थितियों में रखी गई वस्तुएँ अपेक्षाकृत स्थिर होती हैं और उन्हें वहाँ रखने के लिये न्यूनतम बाहरी ऊर्जा या ईंधन की आवश्यकता होती है, अन्य कई उपकरण यहाँ पहले से स्थापित हैं.
यह अब तक का सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली इन्फ्रारेड स्पेस टेलीस्कोप है जो हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी है. यह इतनी दूर आकाशगंगाओं की तलाश में बिग बैंग के ठीक बाद के समय में अतीत की ओर देख सकता है जिस प्रकाश को उन आकाशगंगाओं से हमारी दूरबीनों तक पहुँचने में कई अरब वर्ष लग गए.
यह ब्रह्मांड के अतीत के हर चरण की जाँच करेगा: बिग बैंग से लेकर आकाशगंगाओं, तारों और ग्रहों के निर्माण से लेकर हमारे अपने सौर मंडल के विकास तक.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की थीम्स को चार विषयों में बाँटा जा सकता है.
पहला, यह लगभग 13.5 बिलियन वर्ष पीछे मुड़कर देखें तो प्रारंभिक ब्रह्मांड के अंधेरे से पहले सितारों और आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ.
दूसरा, सबसे कमजोर, आरंभिक आकाशगंगाओं की तुलना आज के भव्य सर्पिलों से करना और यह समझना कि आकाशगंगाएँं अरबों वर्षों में कैसे एकत्रित होती हैं.
तीसरा, यह देखने के लिये कि तारे और ग्रह प्रणालियाँ कहाँ पैदा हो रही हैं.
चौथा, एक्स्ट्रासोलर ग्रहों (हमारे सौरमंडल से परे) के वातावरण का निरीक्षण करने के लिये एवं शायद ब्रह्मांड में कहीं और जीवन के निर्माण खंडों का पता चल सके.