मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अंतरधार्मिक जोड़े की मदद की. इसने राज्य को विवाह अधिकारी के समक्ष एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के की शादी की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया. राज्य की शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 4 के तहत अंतरधार्मिक विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं है. मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा, "पर्सनल लॉ में एक प्रतिबंध है कि मोहम्मडन कानून के तहत, एक मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की से विवाह नहीं कर सकता. यह भी पढ़ें: बहू को टीवी देखने, पड़ोसियों से मिलने और अकेले मंदिर जाने की अनुमति न देना क्रूरता नहीं है: बॉम्बे हाईकोर्ट
हालांकि, अगर विवाह 1954 के अधिनियम की धारा 4 के तहत हुआ है, तो कोई रोक नहीं है." मामले के विवरण के अनुसार, प्रतिवादी संख्या 1 (हिंदू लड़की) और 2 (मुस्लिम लड़का) ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 4 (विशेष विवाहों के आयोजन से संबंधित शर्तें) के तहत विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष विवाह के लिए आवेदन किया था. यह भी बताया गया है कि दम्पति को अपने निजी जीवन पर खतरा होने की आशंका थी, इसलिए उन्होंने अपीलकर्ता/लड़की के पिता तथा उसके परिवार/समुदाय के सदस्यों से सुरक्षा के लिए एक रिट याचिका भी दायर की थी.
विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 के तहत अंतर-धार्मिक विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Madhya Pradesh High Court Aids Interfaith Couple, Says There's No Bar On Muslim Boy Marrying Hindu Girl U/S 4 Of Special Marriage Act#SpecialMarriageActhttps://t.co/ok0Rgf7Qqc
— Live Law (@LiveLawIndia) December 21, 2024
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