Man Injects Magic Mushroom Tea Into His Vein: शख्स ने अपनी नस में सेल्फ मेड मैजिक मशरूम टी किया इंजेक्ट, उसके बाद जो हुआ...
प्रतीकात्मक तस्वीर, (फोटो क्रेडिट्स: Wikimedia Commons)

बायपोलर (bipolar disorder) के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका का एक 30 वर्षीय व्यक्ति अपने द्वारा बनाए गए मैजिक मशरूम टी अपनी नसों में इंजेक्ट करने के बाद लगभग मौत के मुंह से वापस आया है. जिसमें साइकेडेलिक दवा (Psychedelic Drug) शामिल है. रिपोर्ट्स के अनुसार शख्स ने खुद को चाय वाला इंजेक्शन लगाया और यह उम्मीद की कि इससे उसका बायपोलर डिसऑर्डर ठीक हो जाएगी. हालाँकि, यह विफल प्रयास निकला क्योंकि साइकेडेलिक मशरूम इंजेक्शन के लिए नहीं बनाया जाता है. जिसकी वजह से मशरूम आदमी के रक्तप्रवाह में बढ़ गया, जिसकी वजह से उसके ऑर्गन फेल होने लगे. वर्तमान में उसे एंटीफंगल और एंटीबायोटिक दवाओं का लॉन्ग टर्म इलाज किया जा रहा है.

जर्नल ऑफ एकेडमी ऑफ कंसल्टेशन-लाइजन साइकियाट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, शख्स के परिवार ने उसे एक नेब्रास्का आपातकालीन कक्ष (Nebraska emergency room) में ले आए, जब उन्होंने देखा कि वह कन्फ्युज था. शख्स बायपोलर डिसऑर्डर टाइप- 1 से पीड़ित था और डॉक्टरों के अनुसार जो केस स्टडी लिखते थे, वह आदमी अपनी दवाएं नहीं ले रहा था, इसलिए उन्मत्त (manic) और अवसादग्रस्त एपिसोड (depressive episodes) से गुजर रहा था. उनके परिवार ने कहा कि हाल ही में उनके बायपोलर डिसऑर्डर से संबंधित प्रकरणों के दौरान, उन्होंने शोध किया था कि कैसे वे घर पर ओपियोड ( opioid) के उपयोग को कम कर सकते हैं और चाय को इंजेक्ट कर सकते हैं. यह भी पढ़ें: अपने स्पर्म का इंजेक्शन अपनी ही बॉडी में लगाता था ये शख्स, हुआ अस्पताल में भर्ती

शख्स ने मशरूम को पानी में उबाला लिक्विड को कॉटन के माध्यम से फ़िल्टर किया और फिर पदार्थ को अपनी नसों में इंजेक्ट किया और कुछ दिनों के बाद वह बहुत थका हुआ, खून की उल्टियां, पीलिया, दस्त और मतली जैसी परेशानियां होने लगीं. जिसके बाद, उनका परिवार उन्हें अस्पताल ले गया, एक रिपोर्ट में कहा गया.

अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों ने उनके लीवर में घाव पाया, उनकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है, और उनके ऑर्गन फेल होने लगे. उनके रक्त के नमूने से यह भी पता चला है कि मशरूम, जो डार्क स्थानों में पनपता है वो शख्स की नसों में बढ़ रहा था. जिससे उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हुईं. मामले की रिपोर्ट में कहा गया है कि आदमी को तुरंत सांस लेने के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था और उसका खून टॉक्सिन्स के लिए फिल्टर किया गया था.

उस आदमी को 20 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसका इलाज और दवाइयां चल रही थीं, अस्पताल छोड़ने के बाद भी लंबे समय तक उसे दवाइयां जारी रखने के लिए कहा गया.