Teachers Day 2019: भारत के दूसरे डॉ. राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिन के अवसर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया है. भारत के राष्ट्रपति (1962-67) के कार्यकाल में उनके छात्र और मित्र चाहते थे कि वह अपना जन्मदिन मनाएं. जिसपर उन्होंने अनुरोध किया कि, मेरे जन्मदिन का जश्न मनाने के बजाय, इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं, मेरे लिए ये गौरवपूर्ण होगा. तब से उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1888 में दक्षिण भारत में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे डॉ. राधाकृष्णन आधुनिक भारत के सबसे प्रभावशाली विचारकों में से एक थे. वह एक उज्ज्वल छात्र थे और छात्रवृत्ति के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी की. कहा जाता है कि,' जब वह प्रोफेसर की नौकरी के लिए कलकत्ता जा रहे थे, तो एक फूलों से सजी गाड़ी को उनके छात्रों ने मैसूर विश्वविद्यालय से रेलवे स्टेशन तक पूरे रास्ते खींचा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962-67) और देश के पहले उपराष्ट्रपति थे.
राधाकृष्णन ने अप्रैल 1909 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र विभाग में प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया. इसके बाद वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में शामिल हुए और 1936-39 के दौरान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नैतिकता (Eastern Religions and Ethics) के प्रोफेसर बने. 1939 में उन्हें ब्रिटिश अकादमी का फेलो (fellow) भी चुना गया. उन्होंने कई सरकारी कार्यालयों को भी संचालित किए. राधाकृष्णन ने 1949 से 1952 तक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) के संघ के राजदूत के रूप में कार्य किया और भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए. 1962 में वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने.
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उन्होंने देश की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, लेकिन सबसे बढ़कर, वे एक महान शिक्षक थे, जिनसे हम सभी ने बहुत कुछ सीखा है और सीखते रहेंगे. पंडित जवारलाल नेहरू ने उनके बारे में कहा था कि,'सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद्, शिक्षक और एक महान इंसान हैं, जिसका हम सभी को बहुत गर्व है.