नई दिल्ली, 2 जून : एक अध्ययन में रविवार को खुलासा हुआ है कि डायबिटीज, डिप्रेशन और कैंसर का जोखिम आपकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर निर्भर कर सकता है. एजुकेशनल अचीवमेंट और व्यवसाय के आधार पर कमजोर (निम्न) सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले लोगों में डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज जैसी जटिल बीमारियां होने की संभावना ज्यादा होती है. उनमें रूमेटोइड गठिया, फेफड़े के कैंसर, डिप्रेशन और शराब सेवन विकार जैसी कई अन्य जटिल बीमारियों के विकसित होने की आनुवंशिक (जेनेटिक) संवेदनशीलता (ससेप्टिबिलिटी) भी अधिक थी.
फिनलैंड के हेलसिंकी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के शोध के अनुसार, उच्च स्तर वाले लोगों में कुछ प्रकार के ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है. फिनलैंड के लगभग 2 लाख 80 हजार व्यक्तियों के जीनोमिक्स, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य डेटा पर आधारित उनके निष्कर्ष, जर्मनी में चल रहे यूरोपीय सोसायटी ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स के वार्षिक सम्मेलन में पेश किए गए. यह भी पढ़ें : जब हम सोते हैं तब हमारा दिमाग क्या करता है? नींद और सपने को लेकर वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, रिसर्च रिपोर्ट में जानें इसके फायदे
अध्ययन में सिफारिश की गई है कि पॉलीजेनिक जोखिम स्कोर को स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल में जोड़ने से अनेक रोगों का पता लगाने में मदद मिल सकती है. "यह समझना कि रोग जोखिम पर पॉलीजेनिक स्कोर का प्रभाव संदर्भ पर निर्भर है, आगे स्तरीकृत स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल की ओर ले जा सकता है."
यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन फिनलैंड (एफआईएमएम) में पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता फियोना हेगेनबीक ने कहा, "यह समझना कि डिजीज रिस्क पर पॉलीजेनिक स्कोर का प्रभाव संदर्भ पर निर्भर करता है और आगे स्ट्रेटिफाइड स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल को जन्म दे सकता है."