Navratri 2019: अश्विन मास के शुक्लपक्ष की शारदीय ‘नवरात्रि’ नौ विशेष रात्रियों के योग से बना है. इन नौ रातों में माँ शक्ति के नव स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष 29 अक्टूबर 2019 से नवरात्रि पर्व शुरू हो रहा है. देवी पुराण के अनुसार ‘रात्रि’ शब्द ‘सिद्धि’ का प्रतीक होता है. दरअसल प्राचीनकाल में हमारे ऋषि-मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि को ज्यादा महत्व दिया है. क्योंकि शक्ति पूजा के तहत तंत्र-मंत्र की सिद्धी, शक्ति साधना आदि के लिए रात का समय ही उपयुक्त माना जाता है. इन नौ रात्रियों को देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. हर रूप की साधना अलग-अलग सिद्धियां देती हैं. मान्यता है कि इन नौ दिन तक शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने आती है. इसलिए नवरात्रि के प्रत्येक 9 दिन माँ दुर्गा की विशिष्ठ पूजा-अर्चना करनी चाहिए. मां दुर्गा के नौ रूपों के महात्म्य को इन श्लोकों से अच्छी तरह समझा जा सकता है.
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
देवी माँ के इन सभी नौ रूपों का खास महत्व होता है. इन अलग-अलग रात्रियों में लोग अपनी आध्यात्मिक, मानसिक और दैवीय शक्ति के संचय के लिए व्रत, योग, साधना, संयम, नियम, यज्ञ, भजन आदि करते हैं. लेकिन कुछ पुराणों में यह भी निर्दिष्ट है कि मात्र श्लोक-मंत्रों के जाप, पूजा-अनुष्ठान अथवा यज्ञादि से ही देवी प्रसन्न नहीं होतीं. देवी पुराण के अनुसार जो भक्त नौ दिन तक नवरात्रि का व्रत रखते हैं, उन्हें व्रत का सुफल तभी प्राप्त होता है, जब वे नौ कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं और उपहार आदि देकर उन्हें विदा करें.
कन्या पूजन का महात्म्य
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इन नवरात्रि में कन्याओं को भोजन करवाने से कन्या प्रसन्न होती हैं तो माँ दुर्गा भी प्रसन्न होती हैं और भक्त की हर मुराद पूरी करती हैं. आइए जानें नौ कन्याओं को भोजन-उपहार देने का विधान क्या है. शास्त्रों में वर्णित है कि नवरात्रि की अष्टमी एवं नवमी के दिन नौ कन्याओं को नौ शक्ति का स्वरूप मानकर उनका स्वागत-सम्मान किया जाता है. ऐसा करने से मां आदि शक्ति प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं.
कब और कैसे करें कन्या पूजन
9 दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु अष्टमी अथवा नवमी किसी एक दिन नौ कन्याओं को भोजन करवा सकते हैं. यद्यपि कन्यापूजन के लिए अष्टमी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. पूजा विधान के अनुसार 9 कन्याओं को भोजन कराया जाता है. लेकिन भक्त अपनी सामर्थ्यनुसार तीन अथवा पांच कन्याओं को भी भोजन करवाकर वांछित फलों को प्राप्त कर सकता है. कन्या भोजन के लिए बुलाने से पूर्व इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि कन्या की उम्र 2 से 7 वर्ष के भीतर होनी चाहिए. यानि उन्हीं कन्याओं को आमंत्रित करें, जिनका मासिक धर्म अभी शुरू नहीं हुआ हो. कोई कन्या आने में असमर्थता प्रकट करे तो उस पर आने के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए.
कैसे करें कन्या पूजन
कन्याएं जब आपके आवास पर उपस्थित हों तो सपरिवार उन पर लाल पुष्पों की बारिश करें. परिवार के सभी सदस्य नौ दुर्गा का नाम लेकर उनकी जय-जयकार करें. एक बड़े थाल में पानी भरकर उसमें गुलाब की पंखुड़ियां डालें और सभी कन्याओं के चरण धोएं. उनके पैरों में महावर (आलता) लगाएं. इसके पश्चात सभी कन्याओं को नये बर्तन में भोजन परोसें. भोजन सात्विक हो, उसमें लहसुन प्याज नहीं पड़ा हो. भोजन के साथ मिष्ठान अवश्य रखें. भोजन के पश्चात सभी कन्याओं के सर पर चुनरी रखकर उन्हें अपनी सामर्थ्यानुसार दक्षिणा दें. उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेकर उनकी विदाई करें. नवरात्रि में इन सारी को रीतियों को श्रद्धा एवं आस्था के साथ करने से देवी माँ प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि, यश, वैभव और कीर्ति का वरदान देती है.