Gupt Navratri 2025 Remedies: तंत्र-साधना योग्य पुरोहित के मार्गदर्शन में ही करें! वरना हानि हो सकती है! जानें 10 महाविद्या एवं बीज-मंत्रों के चमत्कारिक विधान!
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (Photo Credits: File Image)

Gupt Navratri 2025 Remedies: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) की शुरुआत 26 जून, 2025, गुरुवार से हो रही है. इसका समापन 4 जुलाई, 2025, को होगा. इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक मनायी जाएगी, जिसमें मां दुर्गा (Maa Durga) की नौ शक्तियों एवं 10 विद्याओं की साधना की जाएगी. इस गुप्त नवरात्रि की प्रतिपदा विशेष रूप से शुभ मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो 08.46 PM से अगले दिन 05.31 AM, 27 जून 2025 तक रहेगा. इस शुुभ योग में किए गए कार्य सफल और फलदायी माने जाते हैं. गौरतलब है कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर दस महाविद्या की पूजा की जाती है, अगर आप भी सिद्धियां हासिल करने के लिए गुप्त नवरात्रि की पूजा-अनुष्ठान करने जा रहे हैं, तो पहले जान लें जानें ये छह विभिन्न अनुष्ठानो के बारे में. यह भी पढ़ें: Ashadh Gupt Navratri 2025: कब शुरु हो रहा है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि! जानें तांत्रिक और अघोरी इन दिनों किस शक्ति की और कैसे करते हैं पूजा-अनुष्ठान!

दस महाविद्या साधना द्वारा मनोकामना पूर्ति

ये दस महाविद्याएं शक्ति के दस स्वरूप हैं, जिनकी साधना से अमुक मनोकामनाएं पूरी की जाती हैं:

महाविद्या           साधना का उद्देश्य                   बीज मंत्र (सारांश रूप)

काली                         शत्रुनाश, भय नाश                               ‘ॐ क्रीं काली कपालिनी स्वाहा’

तारा                           संकट से मुक्ति, ज्ञान                             ‘ॐ ऐं ह्रीं स्त्रीं हुं फट्’

त्रिपुरसुंदरी                सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम                            ‘ॐ ऐं क्लीं सौः’

भुवनेश्वरी                    वैभव, प्रभुत्व                                          ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भुवनेश्वर्यै नमः’

भैरवी                         शक्ति, आत्मबल                                    ‘ॐ ऐं ह्रीं भैरव्यै नमः’

छिन्नमस्ता                आत्मबल, क्रोध नियंत्रण                         ‘ॐ ह्रीं छिन्नमस्तिकायै नमः’

धूमावती                   विध्न नाश, निर्भयता                                 ‘ॐ धूं धूं धूमावत्यै नमः’

बगलामुखी              शत्रुनाश, वाणी पर नियंत्रण                    ‘ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं                                                                                                                 मुखं पदं स्तम्भय’

मातंगी                     वाणी सिद्धि, संगीत                                 "ॐ ह्रीं मातंग्यै नमः"

कमला                    लक्ष्मी प्राप्ति, धन                                  ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमलवासिन्यै नमः’

विशेष: उपरोक्त मंत्रों की साधना गुरु के मार्गदर्शन में ही करना श्रेयस्क होगा. गलत उच्चारण या विधि से अनिष्ट हो सकता है.

विशेष यंत्रों की स्थापना

श्री यंत्र (त्रिपुरा सुंदरी का यंत्र)

इस यंत्र की स्थापना अपनी विभिन्न मनोकामनओं ऐश्वर्य, सौंदर्य और प्रेम की प्राप्ति के लिए की जाती है.

आषाढ़ नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन इस यंत्र को शुद्ध करके घर के मंदिर में स्थापित करें. स्नानादि के पश्चात ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद’ मंत्र से पूजन करें.

बगलामुखी यंत्रः बगलामुखी यंत्र की स्थापना शत्रु बाधा निवारण, कोर्ट केस या किसी से सुरक्षा के लिए इस यंत्र को पीले एवं स्वच्छ कपड़े पर रखकर, हल्दी से तिलक करें. अब निम्न मंत्र के जाप के साथ इसकी पूजा करें. कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र साथ में रखने से धन और समृद्धि बढ़ती है.

गुप्त दान (गुप्त रूप से किया गया दान)

सामान्य स्थितियों में भी दान का प्रचार करने त्रुटिपूर्ण माना जाता है. गुप्त नवरात्रि में गुप्त दान करने से प्राप्त होने वाला पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. दान के लिए काला तिल, वस्त्र, अन्न, जल, पात्र एवं गाय को हरा चारा बेहतर है.

रात्रि में दीप साधना (दीप-दान एवं मंत्र जाप)

गुप्त नवरात्रि के दिन हर रात शुद्ध घी के 9 दीपक जलाकर ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का 108 बार जाप करें. दीपक दक्षिण दिशा की ओर रखें, यह नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है.

संपुटित मंत्र जाप (विशिष्ट मनोकामना हेतु)

अगर आपके मन में कोई विशिष्ट कामना है तो अमुक देवी का नाम का ध्यान करते हुए उन्हीं देवी के मंत्र का जाप करते हुए संकल्प लें.

उदाहरण:

‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||

मम अमुक इच्छा पूर्तये साधय साधय स्वाहा.’

स्वप्न दर्शन साधना (Devi Darshan through Dream)

गुप्त नवरात्रि की सभी नौ रातों का ध्यान करके सोएं, विशेषकर त्राटक (दीपक को देखते हुए) ध्यान करें.

स्वप्न में देवी दर्शन या संकेत से भविष्य की दिशा मिल सकती है.

गुप्त नवरात्रि की उपासना के समय बरतें ये सावधानियां

* गुप्त नवरात्रि की पूजा करनेवाले तामसिक भोजन, मद्य, मांस इत्यादि से दूर रहें.

* ब्रह्मचर्य का पूरे विधि-विधान के साथ पालन करें.

* कोई भी साधना एकांत और पवित्र स्थान पर करें.

* गुप्त नवरात्रि का कोई भी विधान जानकार पुरोहित के दिशा-निर्देशन में ही करें और ना ही अपने मन से कोई तांत्रिक क्रिया करें.