पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक की घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि हृदय रोग अथवा हृदयाघात के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं हो सकती. क्योंकि पिछले तीन से पांच सालों में 18 से 55 साल की आयु वाले भी हृदयाघात को बर्दाश्त नहीं कर सके और असमय उन्हें मृत्यु को आलिंगन करना पड़ा. पिछले पांच सालों में भारत में हार्ट अटैक के 53 प्रतिशत से मामले आये. हृदयाघात के संदर्भ में विशेषज्ञों का भी मानना है कि अक्सर गलत आदतों की वजह से हृदय पर बुरा असर पड़ता है. ऐसी स्थिति में जो रास्ता बनता है वह है योग. आइये जानें किन आसनों से हृदय रोग के जोखिमों को कम किया जा सकता है. International Yoga Day 2022: क्रोध पर नियंत्रण रखने के लिए इन योगासनों का करें पालन, देखें वीडियो
हृदय रोग के कारण
योग गुरु बाबा रामदेव के अनुसार स्वस्थ हृदय के लिए अच्छी दिनचर्या के साथ पौष्टिक खानपान बहुत महत्वपूर्ण है. आज लोग हार्ड वर्क से बचते हैं, पैदल नहीं चलते. इससे हाई कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह जैसी बीमारियां चिपक जाती हैं. और तब जीवनपर्यंत मेडिसिन पर निर्भर रहना पड़ता है. जरा सी चूक हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा देता है. योग गुरु का दावा है कि हृदय रोग का कोई भी लक्षण हो, निम्न आसन नियमित रूप से किये जायें तो हार्ट अटैक के जोखिम से बच सकते हैं.
ताड़ासन
ताड़ासन के लिए दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हों. बाहों को बगल में रखें. पंजों के बल खड़े होकर एड़ी को ऊपर ऊठायें साथ ही दोनों बाहों को सिर के ऊपर ले जायें. कुछ सेकेंड इसी स्थिति में खड़े होकर पुनः पुरानी स्थिति में आ जायें. कम से कम 10 मिनट यह आसन करें. नियमित ताड़ासन करने वालों के श्वसन तंत्र, एवं ब्लड सर्कुलेशन सुचारु रहता है. हृदय को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ इस पर पड़ने वाले दबाव को भी कम करता है. इस आसन का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति में सहनशक्ति और ऊर्जा बढ़ती है.
भुजंगासन या कोबरा पोज
भुजंगासन सुबह खाली पेट ही करना चाहिए. इसके लिए पेट के बल आसन पर लेटें. दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन को स्पर्श करते हुए रखें. दोनों टखने एक दूसरे को छूते होने चाहिए. इसके बाद दोनों हाथों को कंधों के पास लेकर जायें. अब शरीर का वजन हथेलियों पर डालते हुए धड़ वाले हिस्से को ऊपर ऊठायें. पैर के पंजे जमीन को स्पर्श करना चाहिए. कंधों को कानों से दूर रखें. अब हिप्स, जांघों एवं पैरों से फर्श की तरफ दबाव बनाएं. इस मुद्रा में 20 से 30 सेकेंड स्थिर रहें. इस तरह 5 मिनट तक करें. यह आसन हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है. इससे न केवल चर्बी कम होती है, बल्कि छाती को खोलने के साथ हृदय की मांसपेशियों को भी मजबूत करती है.
कपालभाति
ध्यान के आसन में बैठें. आंखों को बंद करें. पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें. नाक सांस बाहर निकालें. ऐसा करते समय पेट भीतर की ओर खींचें. ध्यान रहे सांस छोड़ने के बाद, सांस बाहर न रोककर बिना प्रयास के सांस अंदर जाने दें. ऐसा करते हुए संतुलन बनाए रखें. ध्यान रहे हृदय के रोगियों को कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे करना चाहिए. कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों, तिल्ली, लीवर, अग्नाशय के साथ-साथ दिल की समस्याओं को सुधारता है. यह कोलेस्ट्रॉल कम करता है, एवं धमनियों के अवरोध को दूर करता है
भस्त्रिका प्राणायाम
सुखासन की स्थिति में बैठें. कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर और मन को शांत रखें. तेज सांस लें और उसी गति से सांस बाहर निकालें. ध्यान रहे सांस अंदर लेते समय पेट फूलना चाहिए और छोड़ते समय पूर्वावस्था में आना चाहिए. इससे नाभि पर दबाव पड़ता है. करीब 5 से 10 मिनट तक भस्त्रिका प्राणायाम करने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है. इसके अलावा, यह शरीर और दिमाग को ताजा रखता है. शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है. याददाश्त को शार्प बनाता है. इससे इम्यून सिस्टम बूस्ट होती है. तनाव दूर एवं रक्त शुद्ध होता है. दिल की बीमारियों पर नियंत्रण रखने के साथ ही यह माइग्रेन और अवसाद से भी बचाता है.
अनुलोम-विलोम
अनुलोम-विलोम जितना सरल और लोकप्रिय आसन है, उतना ही कारगर भी है. अनुलोम विलोम प्राणायाम हृदय की बीमारी और हार्ट ब्लॉकेज से बचाव करता है. हाई ब्लड प्रेशर जैसे हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक होता है. हृदय के रोगियों के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम इसलिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह हृदय की क्षमता को बढ़ाता है.