Nithyananda Kailasa Bolivia Controversy: बोलीविया से भगाया गया नित्यानंद का 'कैलासा' गिरोह, 20 लोग निष्कासित, आदिवासी जमीन हड़पने का आरोप

भगोड़े स्वयंभू धर्मगुरु नित्यानंद के कथित 'कैलासा' देश के 20 सदस्यों को बोलीविया की सरकार ने निष्कासित कर दिया है. बोलीविया के इमिग्रेशन मंत्रालय ने मंगलवार, 25 मार्च को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इन लोगों पर देश की आदिवासी भूमि पर अवैध कब्जा करने की कोशिश का आरोप है.

बोलीविया की इमिग्रेशन निदेशक कैथरीन काल्डेरॉन ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया, "यह संप्रदाय पर्यटक वीजा पर अलग-अलग समय में देश में दाखिल हुआ था. कुछ लोग नवंबर 2024 से यहां रह रहे थे, जबकि अधिकांश जनवरी 2025 में आए."

आश्रमों के जरिए चल रहा था खेल

नित्यानंद पर कई देशों में यौन शोषण और अपहरण के गंभीर आरोप हैं. भारत में भी उसके खिलाफ कानूनी मामले लंबित हैं. 2019 में गुजरात पुलिस ने उसके आश्रम में नाबालिगों के अपहरण और यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू की थी, जिसके बाद वह फरार हो गया था. इसके बाद उसने ‘कैलासा’ नामक एक काल्पनिक देश की स्थापना का दावा किया, जिसका वास्तविक अस्तित्व संदेह के घेरे में है. कयास लगाए जाते हैं कि वह इक्वाडोर के पास स्थित किसी द्वीप पर छिपा हो सकता है.

आदिवासी भूमि पर कब्जे की कोशिश

बोलीविया के अखबार 'एल डेबेर' की 16 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, कैलासा के सदस्यों ने बोलीविया के बावर, कयूबा और एसे एहा नामक तीन आदिवासी समुदायों के साथ 4.8 लाख हेक्टेयर सरकारी भूमि को 1,000 साल के लिए लीज पर लेने का समझौता किया था. इस डील के तहत कैलासा को उस भूमि पर पूरी तरह से स्वायत्तता और संसाधनों पर अधिकार मिलने की बात कही गई थी. इस समझौते के बदले कथित कैलासा देश को हर साल $1,08,000 (करीब 90 लाख रुपये) भुगतान करने की शर्त थी.

बोलीविया के गृह मंत्री एडुआर्डो डेल कास्टिलो डेल कार्पियो ने बताया कि इस डील को लेकर जब जांच शुरू हुई तो सामने आया कि यह समझौता पूरी तरह अवैध था. "बोलीविया की कृषि और भूमि विकास मंत्री यामिल एलोनेस ने स्पष्ट किया कि यहां की मौजूदा कानूनों के तहत विदेशी नागरिक अमेज़न क्षेत्र की जमीन नहीं खरीद सकते," उन्होंने कहा.

पत्रकार को मिली धमकी

इस मामले का पर्दाफाश करने वाली पत्रकार सिल्वाना विंसेंटी को अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय नंबरों से धमकियां मिलने लगीं. इसके बाद स्थानीय सरकार और CIDOB (बोलीविया के आदिवासी लोगों का महासंघ) ने कहा कि यह समझौता अवैध है और किसी भी काल्पनिक देश से ऐसे सौदे को मान्यता नहीं दी जा सकती.

देश से भगाए गए कैलासा के सदस्य

बोलीवियाई अधिकारियों ने बताया कि कैलासा के 20 सदस्यों में से तीन को एक्सल्टासिओन इलाके से पकड़ा गया, जबकि बाकी 17 को सांता क्रूज़ से हिरासत में लिया गया. चूंकि वे अपने वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन कर रहे थे, इसलिए उन्हें देश छोड़ने का आदेश दिया गया. यह निष्कासन शनिवार और रविवार को पूरा कर लिया गया.

"इस गुट ने हमारे देश के आदिवासियों की भलमनसाहत का फायदा उठाने और उनकी ज़मीन पर अधिकार जमाने की कोशिश की. हमने उन्हें तुरंत निष्कासित कर दिया," कैथरीन काल्डेरॉन ने कहा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बोलीविया सरकार का कथित 'कैलासा राष्ट्र' से कोई संबंध नहीं है.

भारत में भी कानूनी शिकंजा

नित्यानंद के खिलाफ भारत में भी कई गंभीर मामले दर्ज हैं. 2010 में कर्नाटक की अदालत ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. इसके बाद उसके पूर्व ड्राइवर लेनिन की शिकायत पर उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. 2020 में जब लेनिन ने अदालत में याचिका दायर कर बताया कि नित्यानंद देश छोड़कर भाग चुका है, तो उसकी जमानत रद्द कर दी गई.

गुजरात के उसके आश्रम में कई बच्चों के साथ उत्पीड़न और यातना की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. अब बोलीविया से निष्कासित किए जाने के बाद नित्यानंद और उसके तथाकथित कैलासा के सदस्यों पर कानूनी कार्रवाई और तेज होने की संभावना है.