Happy Mother's Day 2021: वीरांगना माँएं! जिन्होंने शेर-पुत्र पैदा किये! जानें उनके नाम
हैप्पी मदर्स डे 2020 (Photo Credits: File Image)

Happy Mother's Day 2021:  दुनिया भर में माँ को सम्मानित करने के भाव से मई माह के दूसरे रविवार को ‘विश्व मातृत्व दिवस’ मनाया जाता है. हर माँ के मन में अपने पुत्र के प्रति एक ही भाव होते हैं. कि उनका पुत्र अदम्य साहसी, शूरवीर एवं संस्कारी बन दुनिया में अपनी पहचान बनाए. यहां कुछ ऐसी ही वीरांगना मांओं से परिचय करा रहे हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने पुत्र को दुनिया के सामने मिसाल बनाने में अहम भूमिका निभाई. यह भी पढ़े: Happy Mother’s Day 2021 Wishes: मदर्स डे पर इन हिंदी Facebook Messages, WhatsApp Stickers के जरिए दें अपनी प्यारी मां को मातृत्व दिवस की शुभकामनाएं

माँ सीताः शौर्यता के प्रतीक पुत्र लव-कुश:

मातृत्व की बात करें तो पहला नाम त्रेता युग की माँ सीता जेहन में आता हैं, जिन्हें हम त्याग, बलिदान और संघर्ष की मिसाल कह सकते हैं. वाल्मिकी रामायण के अनुसार सीता जी राजा जनक की लाडली पुत्री थीं, लेकिन श्रीराम के साथ विवाह के बाद से ही उनके जीवन में संघर्ष का सिलसिला शुरु हुआ जो जीवन पर्यंत चलता रहा. 14 वर्ष तक के वनवास काल तक वे मातृत्व सुख से वंचित रहीं. और जब अयोध्या आयीं और माँ बनने का सुख उठाने का अवसर मिला तो उन्हें पति त्याग का दंश झेलते हुए वाल्मिकी के आश्रम में पनाह लेना पड़ा. वहीं पर उन्होंने लव कुश को जन्म दिया, उन्होंने दोनों बच्चों में शौर्य, शिक्षा एवं संस्कार के बीज भी बोये, अंततः उन्हें अयोध्या के राज सिंहासन के योग्य बनाया. भारतीय इतिहास में मातृत्व त्याग का ऐसा उदाहरण कम ही मिलेगा.

शकुंतलाः महाबलशाली पुत्र भरत:

माँ सीता की तरह शंकुतला को भी राजयोग के बजाय वनवास की पीड़ा झेलनी पड़ी थी. कण्व ऋषि के आश्रम में रहते हुए शकुंतला की खूबसूरती पर फिदा हो राजा दुष्यंत ने शकुंतला से गंधर्व विवाह किया. लेकिन जब शकुंतला राजा दुष्यंत के महल पहुंची तो दुष्यंत ने शकुंतला को पहचानने से इंकार कर दिया. दुष्यंत के व्यवहार से दुःखी शकुंतला कण्व ऋषि के आश्रम लौटने के बजाय कबीलियों के बीच रहने लगीं. वहीं उन्होंने भरत को जन्म दिया. भरत को शिक्षा से लेकर शूरवीरता तक का पाठ शकुंतला ने पढ़ाया. कहते हैं, कि एक दिन राजा दुष्यंत शिकार खेलने वन में गये, तो यह देख हैरान रह जाते हैं कि एक छोटा सा बालक खूंखार सिंह की पीठ पर सवार होकर उसके दांत गिन रहा था. यह बालक वास्तव में शकुंतला का पुत्र भरत था. बाद में इसी बालक के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा.

रानी धर्माः चक्रवर्ती सम्राट पुत्र अशोक:

मौर्य युग में सम्राट अशोक की वीरता की गाथाएं भरी पड़ी हैं. अशोक राजा बिंदुसार और रानी धर्मा के पुत्र थे. उनके पति बिंदुसार कमजोर राजा थे. धर्मा न केवल विदुषी थीं, बल्कि बेहद सुंदर और राजनीति में भी निपुण थीं. यही संस्कार उन्होंने अशोक की परवरिश में भी दिया. अशोक को उन्होंने बचपन से सैन्य गतिविधियों में प्रवीण बनाया. सम्राट बनने के बाद अशोक ने अपनी वीरता और चतुराई से अपने राज्य का खूब विस्तार किया. उनके शौर्य के आगे राजा नतमस्तक हो जाते थे और खामोशी से उन्हें सत्ता सौंप देते थे. अंततः अशोक को चक्रवर्ती सम्राट का गौरव प्राप्त हुआ. भारतीय इतिहास में यह गौरव केवल अशोक के नाम है. कहा जाता है कि सम्राट अशोक का साम्राज्य आज के भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, म्यामार तक स्थापित था. यह अब तक का सबसे भारत साम्राज्य था.

जीजाबाईः पुत्र छत्रपति शिवाजी महाराज:

भारतीय शूरवीर राजाओं की चर्चा हो और शिवाजी का जिक्र ना हो तो बात अधूरी होगी. और उनकी वीरता को गढ़ने-संवारने का श्रेय उनकी माँ जीजाबाई को जाता है. यह जीजाबाई की दूरदर्शिता का ही कमाल था कि उन्होंने शिवाजी की शिक्षा के लिए गुरु रामदास को चुना था, और शिवाजी में शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति के भाव भरे खुद जीजाबाई ने. कहा तो यहां तक जाता है कि शिवाजी की विशेष युद्ध कला यानी गोरिल्ला युद्ध की कला मां जीजाबाई से ही उन्हें मिली थी. यह जीजाबाई का ही प्रताप था कि उन्होंने शिवाजी में स्त्रियों का पूरा सम्मान करने की शिक्षा दी. शिवाजी ने युद्ध में दुश्मन की स्त्रियों को कभी नुकसान नहीं होने दिया.