Pongal 2019: तमिल हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है पोंगल, जानें 4 दिनों तक मनाए जाने वाले इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं
हैप्पी पोंगल 2019 (File Image)

Pongal 2019: नए साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. हालांकि इस त्योहार को देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और इससे जुड़ी मान्यताएं भी अलग-अलग हैं. उत्तर भारत में इसे 'खिचड़ी' (Khichadi) और 'मकर संक्रांति' के नाम से मनाया जाता है, जबकि गुजरात में इसे 'उत्तरायण' (Uttarayan) कहते हैं. आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में इस पर्व को 'संक्रांति' (Sankranti) के नाम से मनाया जाता है, जबकि पंजाब में 'लोहड़ी' (Lohri) और दक्षिण भारत के तमिलनाडु में इस त्योहार को 'पोंगल' (Pongal) के नाम से मनाया जाता है. यहां इस त्योहार को कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है.

तमिलनाडु (Tamilnadu) में पोंगल का त्योहार हर साल 14/15 जनवरी को मनाया जाता है और इस दिन से तमिल हिंदुओं का नया साल शुरु होता है. पोंगल को तमिल में 'उफान या विप्लव' कहते हैं जो पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित है. यहां सूर्य देव (Surya Dev) को अन्न धन का दाता मानकर पूरे चार दिनों तक पोंगल का जश्न मनाया जाता है.

चार दिनों तक मनाया जाता है पोंगल 

पोंगल दक्षिण भारतीयों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से उनके नए साल की शुरुआत होती है और वो फसलों की कटाई का जश्न बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन सूर्य को अन्न और धन का दाता मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें विशेष प्रकार का भोग अर्पित किया जाता है. इस त्योहार को तमिलनाडु में लगातार चार दिनों तक मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2019: मकर संक्रांति पर करें ये खास उपाय, जीवन में तरक्की पाने की राह हो जाएगी आसान

पहला दिन- भोगी पोंगल

पोंगल पर्व के पहले दिन संध्या के समय लोग अपने घर से पुराने वस्त्र, कूड़े, बेकार पड़ी चीजों को एक जगह पर लाकर उसे जलाते हैं. पहले दिन निभाई जाने वाली यह परंपरा ईश्वर के प्रति सम्मान और बुराईयों के अंत की भावना को दर्शाती है. पोंगल का पहला दिन भोगी पोंगल देवराज इंद्र को समर्पित है.

दूसरा दिन- सूर्य पोंगल

पोंगल का दूसरा दिन भगवान सूर्य को समर्पित है, जिसे सूर्य पोंगल कहा जाता है. इस दिन मिट्टी के बर्तन में नए धान से तैयार चावल, मूंग दाल और गुड़ से विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है. खीर बनाए जाने के बाद सूर्य देव की उपासना की जाती है और उन्हें खीर के साथ-साथ गन्ने का भोग लगाया जाता है.

तीसरा दिन- मट्टू पोंगल

पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल कहलाता है, जो बैल के प्रति आदर भाव को व्यक्त करने का दिन होता है. तमिल हिंदुओं की मान्यताओं के अनुसार, मट्टू भगवान शिव के बैल का नाम है, जिसे एक भूल की वजह से भगवान शिव ने मानव के लिए अन्न पैदा करने के लिए पृथ्वी पर भेज दिया. इसलिए इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैं, उन्हें सजाते हैं और फिर उनकी पूजा करते हैं. बैल के साथ-साथ इस दिन गाय और उनके बछड़ों की भी पूजा की जाती है. यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2019: देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प परंपराएं

चौथा दिन- कन्या पोंगल

पोंगल के चौथे और आखिरी दिन इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने दरवाजे पर आम की पत्तियों और नारियल के पत्तों का तोरण लगाते हैं. महिलाएं अपने घर के मुख्य द्वार को रंगोली से सजाती है, लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाईयां बांटते हैं. इस दिन यहां बैलों की लड़ाई का भी आयोजन किया जाता है.

गौरतलब है कि तमिलनाडु में चार दिनों तक मनाए जाने वाले पोंगल पर्व की अनोखी छटा देखने को मिलती है. यहां लोग पोंगल के पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और खुशी-खुशी नए साल का स्वागत करते हैं.