Pohela Boishakh 2019: पोहेला बोइशाख बंगाली समुदाय के लिए है बेहद खास, इस दिन लोग एक-दूसरे को शुभो नोबो बोरसो कह कर देते हैं नए साल की बधाई
पोहेला बोइशाख 2019 (File Image)

Pohela Boishakh 2019: बंगाल (Bengal)  व उसके आसपास के पहाड़ी राज्यों और पड़ोसी देश बंग्लादेश (Bangladesh) में पोहेला बोइशाख (Pohela Boishakh) का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. पोहेला बोइशाख बंगाली लोगों का नया साल होता है और बंगाली नववर्ष (Bengali New Year) के इस पर्व को हर साल अप्रैल महीने के मध्य में मनाया जाता है. यह बैशाख महीने का पहला दिन होता है. पोहेला यानी पहला और बोइशाख यानी बंगाली कैलेंडर का पहला महीना. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग एक-दूसरे को शुभो नोबो बोरसो (Subho Nobo Barsho) कह कर नए साल की शुभकामनाएं देते हैं. इसका अर्थ है नया साल मुबारक हो.

नव वर्ष के इस त्योहार का बंगाली समुदाय के लोग बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं. बंगालियों के इस नए साल के दिन पश्चिम बंगाल और असम में सरकारी छुट्टी होती है. इस दिन लोग पूरे रीति-रिवाजों के साथ नए साल का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

बैशाख के पूरे महीने को माना जाता है खास

बंगाली समुदाय के लोगों के लिए बैशाख का महीना बेहद खास होता है और नए साल का पहला दिन उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. नए साल के पहले दिन बंगाली लोग अपने और अपने परिवार की अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करते हैं.

बंग्लादेश के लिए भी महत्वपूर्ण है यह दिन

बंगाली नए साल का दिन सिर्फ बंगाल के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए भी बेहद खास माना जाता है. दरअसल, साल 1965 में मशहूर सांस्कृतिक दल छायानट ने जब यह दिन मनाया था, उस दौरान के पाकिस्तान ने इस बंगाली सांस्कृतिक कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर के गीतों पर पाबंदी लगाने की कोशिश की थी. हालांकि छायानट ने इसका विरोध जताया, तब से इस दिन को पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली संस्कृति के तौर पर मनाया जाता रहा. आगे चलकर साल 1972 से इस पर्व को बांग्लादेश में राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा.

रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है यह दिन

पोहेला बोइशाख का त्योहार मनाने के लिए लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं. सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग पूरे रीति-रिवाजों के साथ घर में पूजा-पाठ करते हैं और पूरे परिवार के लिए मंगल की कामना करते हैं. दोस्तों-रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें शुभो नोबो बोरसो कहकर नए साल की शुभकामनाएं देते हैं. इस बेहद खास मौके पर घरों में तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. यह भी पढ़ें: Weekly Calendar 15 To 21 April 2019: अप्रैल महीने के तीसरे सप्ताह में पड़ रहे हैं कई बड़े व्रत व त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट

इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इसके अलावा व्यापारी लोग इस दिन अपना नया बहीखाता हनाते हैं और पूजा के बाद इसमें हिसाब लिखना शुरू होता है. इस दिन सुबह उठकर लोग उगते हुए सूर्य देव के दर्शन करते हैं. इस दिन बंगाल के लोग पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं और सुबह-सुबह नाश्ते में प्याज, हरी मिर्च और फ्राईड फिश के साथ पांता भात का सेवन करते हैं.

आयोजित किए जाते हैं बैशाखी के मेले

बंगाली नववर्ष के बेहद खास मौके पर देश के कई हिस्सों में बैशाली मेले का आयोजन किया जाता है. इस दिन कोलकाता में रवींद्रनाथ टैगोर के गीत 'एशो हे बोइशाख एशो एशो' से संगीतमय हो जाता है. मेले में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. गीत-संगीत, डांस, पारंपरिक नृत्य के साथ-साथ लैला-मजनू और राधा-कृष्ण के नाटक भी दर्शकों के लिए पेश किए जाते हैं.

बंगाल के अलावा बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी नए साल का यह जश्न बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. पोहेला बोइशाख के दिन यहां कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध सांस्कृतिक दल छायानट द्वारा होता है. बता दें कि छायानट की शुरुआत साल 1961 में हुई थी. इसके अलावा इस दिन मांस, मछली और विभिन्न प्रकार के छेने की मिठाइयों का लोग सेवन करते हैं. खासकर, बंगाल में यह त्योहार सांस्कृतिक एकता की अनोखी मिसाल पेश करता है.