हिन्दू धर्म में श्रावण एवं भाद्रपद माह में तीन विभिन्न तिथियों में तीन अलग-अलग अनुष्ठान वाले तीज व्रत, (हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज) रखे जाते हैं. सनातन धर्म में तीनों तीज व्रत विशेष रूप से उत्तर भारतीय महिलाओं द्वारा बड़े विधि-विधान एवं आस्था के साथ रखे जाते हैं, यह व्रत अमूमन राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है. वर्षा ऋतु होने के कारण तीज के इन तीनों त्यौहारों का महत्त्व महिलाओं के लिए और भी बढ़ जाता है. इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को रखा जाएगा. आइये जानते हैं इस व्रत के महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि आदि के बारे में...
कब रखा जाएगा हरियाली व्रत?
श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया प्रारंभः 10.41 PM (26 जुलाई 2025)
श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया समाप्त 10.41 AM (27 जुलाई 2025)
उदया तिथि के नियमों के अनुसार 27 जुलाई 2025 महिलाएं तीज का व्रत रखेंगी.
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का व्रत आमतौर पर नाग पंचमी से दो दिन पूर्व यानि श्रावण माह शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है. इसलिए इस दिन शिवजी के साथ देवी पार्वती की सयुक्त पूजा का विधान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज की तिथि भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं एवं सुखी वैवाहिक जीवन हेतु प्रार्थना करती हैं. इस दिन महिलाएं नए वस्त्र, विशेष रूप से हरी साड़ी एवं हरी चूड़ियों में सजधज कर मायके जाती हैं, हर्षोल्लास के साथ झूले का आनंद उठाती हैं. संध्याकाल में भगवान शिव एवं देवी पार्वती की पूजा करती है. इस अवसर पर बेटी के मायके से ससुराल में सिंधारा तीज भेजा जाता है, जिसमें मिठाई, घेवर, मेहंदी, चूड़ियां एवं वस्त्र आदि भेंट किया जाता है. यह भी पढ़ें : Hariyali Teej 2025 Mehndi Design: हरियाली तीज पर ये शानदार मेहंदी डिजाइन लगाकर अपने श्रृंगार में लगाएं चार चांद, देखें पैटर्न
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?
हरियाली तीज भगवान शिव एवं देवी पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती ने 107 जन्मों तक तपस्या की और श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया को 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. यहां हरियाली का अर्थ हरी-भरी वर्षा से है. यह तीज मानसून की फसल हरी-भरी फिजाओं, प्राकृतिक ताजगी और समृद्धि का प्रतीक है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-शांति के लिए कठोर व्रत (निर्जला व्रत) रखती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे जीवनसाथी की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं, और भगवान शिव तथा देवी पार्वती की पूजा करती हैं. इसके बाद व्रत का पारण करती हैं.
हरियाली व्रत की पूजा-विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. शिवजी का ध्यान कर हरियाली तीज व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. सोलह श्रृंगार करें और लाल रंग के वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर में या मंदिर के समक्ष एक चौकी बिछाएं. उस पर पीला या लाल वस्त्र बिछाएं. भगवान शिव एवं मातापार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा पर गंगाजल छिड़ककर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, पान-सुपारी वस्त्र अर्पित करें. निम्न श्लोक का उच्चारण करें.
‘हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा माम कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।:’
शिव चालीसा का पाठ करें. प्रसाद में मिठाई एवं फल चढ़ाएं. भगवान शिव एवं देवी पार्वती की आरती उतारें. रात में चंद्रमा का दर्शन कर व्रत का पारण करें.













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