National Flag Adoption Day 2020: भारत का राष्ट्रीय ध्वज (National Flag Of India) देश की अखंडता और एकता का प्रतीक है. देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों, जाति और समुदाय के लोगों को तीन रंगों से बना हमारा तिरंगा (Tricolor) एकसूत्र में बांधकर रखता है. देश की आन-बान और शान कहे जाने वाले तिरंगे (Tiranga) के आग हर हिंदुस्तानी नतमस्तक होता है. इतना ही नहीं तिरंगे की शान को बरकरार रखने के लिए हर हिंदुस्तानी खुद को न्योछावर करने को हरदम तैयार रहता है. आज ही के दिन 22 जुलाई 1947 को भारत ने आधिकारिक रूप से तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था, तब से तिरंगा अपरिवर्तित है. तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर स्वीकार किए जाने के बाद 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराया गया था और 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराया गया था, तब से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है. चलिए जानते हैं राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर तिरंगे को स्वीकार किए जाने के इस दिवस (National Flag Adoption Day) जुड़ी खास बातें...
किसने बनाया था तिरंगा?
आज हमारे देश में जो तिरंगा फहराया जाता है और जिसे देश का राष्ट्रध्वज माना जाता है उसे डिजाइन करने का सारा श्रेय आंध्रप्रदेश के 'पिंगली वैंकैया' को जाता है. उन्होंने ही तिरंगे का डिजाइन बनाया था. साल 1963 में उनका निधन हुआ था और उनकी मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके उन्हें सम्मान दिया गया था.
राष्ट्रीय ध्वज क्या दर्शाता है?
तिरंगे का हर रंग कुछ कहता है. राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग साहस, वीरता और सभी देशवासियों के बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है. बीच में स्थित सफेद रंग शांति और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है. तिरंगे के नीचे मौजूद हरा रंग भारत की कृषि समृद्धि और पर्यावरणीय संसाधनों को दर्शाता है.
विविधता में एकता का प्रतीक
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा कि भारत में रहने वाले हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी, पारसी और अन्य सभी के लिए एक सामान्य ध्वज होना आवश्यक है. तिरंगे को भारत की विविधता में एकता का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसके नीचे खड़ा हर कोई सिर्फ हिंदुस्तानी होता है. यह भी पढ़ें: पिंगली वेंकैया की वजह से भारत को मिला तिरंगा, जानें राष्ट्रध्वज को डिजाइन करने वाले इस शख्स से जुड़ी खास बातें
ध्वज को कब अपनाया गया था?
वर्तमान में जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की एक बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया था. 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत को आजादी मिलने से कुछ दिन पहले ही तिरंगे को राष्टध्वज के तौर पर अपना लिया गया था.
स्वतंत्रता की प्रतीक है तिरंगा
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय ध्वज के रूप में तिरंगे को अपनाए जाने को लेकर कहा था कि एक ध्वज न केवल अपने लिए, बल्कि सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता का प्रतीक है. देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने 17 साल तक दिल्ली के प्रतिष्ठिक ध्वजारोहण समारोह का नेतृत्व किया.
गौरतलब है कि तिरंगे के इस्तेमाल और फटे या खराब तिरंगे के निस्तारण को लेकर फ्लैग कोड ऑफ इंडिया में कई दिशा-निर्देश (guidelines) दिए गए हैं, जिनका पालन करना देश के हर नागरिक (Citizen of India) की अहम जिम्मेदारी है. तिरंगा फहराने के तमाम नियम-कानूनों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ 'भारतीय ध्वज संहिता-2002' में एकीकृत किया गया है.