भारत का राष्ट्रध्वज (Indian National Flag) तिरंगा (Tricolor) देश की आन-बान और शान का प्रतीक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे किसने डिजाइन किया था. जी हां, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर लोग तिरंगा (Tiranga) फहराकर उसकी आन-बान और शान को बरकरार रखने की कसमें तो खाते हैं, लेकिन इस बात को बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इसे डिजाइन करने का श्रेय किसे जाता है. दरअसल, देश के राष्ट्रध्वज को डिजाइन करने का सारा श्रेय आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को जाता है. उन्होंने ही तिरंगे का डिजाइन बनाया था. आज उनका जन्मदिन है और इस खास मौके पर राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर उन्हें नमन किया है.
पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त सन 1876 को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में मचिलीपट्टनम के एक छोटे से गांव में हुआ था. 4 जुलाई 1963 को उनका निधन हो गया था और उनके निधन के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके उन्हें सम्मान दिया गया था. चलिए भारत के राष्ट्रध्वज को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं, जो उन्हें खास बनाती हैं.
पिंगली वेंकैया से जुड़ी खास बातें-
1- महज 19 साल की उम्र में पिंगली वेंकैया ब्रिटिश आर्मी में शामिल हो गए थे और अफ्रीका में एंग्लो-बोएर जंग में हिस्सा लिया था, लेकिन उन्हें देश सेवा करनी थी, लिहाजा ब्रिटिश सेना छोड़कर स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना अहम योगदान दिया.
2- सन 1899 से 1902 के बीच दक्षिण अफ्रीका के "बायर" युद्ध में पिंगली ने हिस्सा लिया था, उस दौरान वहां उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई. वे बापू के विचारों से काफी प्रभावित हुए और ब्रिटिश सेना छोड़कर स्वदेश लौट आए. जहां उन्होंने मुंबई में रेलवे में गार्ड की नौकरी की.
3- इसी बीच मद्रास यानी वर्तमान के चेन्नई में प्लेग नामक महामारी की चपेट में आकर कई लोगों की मौत हो गई. इस वाकये से उनका मन व्यथित हो उठा और उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद वे मद्रास में प्लेग रोग निर्मूलन इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हो गए थे.
4- पिंगली एक अच्छे लेखक और भाषा विशेषज्ञ थे. उनकी इन खूबियों के चलते ही उन्हें जापान वेंकैया, पट्टी (कॉटन) वेंकैया और झंडा वेंकैया जैसे कई नाम दिए गए. उन्होंने साल 1913 में जापानी भाषा में लंबा भाषण पढ़ा था.
5- साल 1916 से लेकर 1921 तक लगातार उन्होंने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की स्टडी की. इसके बाद उन्होंने भारत के राष्ट्रध्वज तिरंगे को डिजाइन किया. साल 1916 में उन्होंने भारतीय झंडे के डिजाइन को लेकर एक किताब भी लिखी थी. यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: इस शख्स की वजह से भारत को मिला 'तिरंगा', जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी 10 रोचक बातें
6- वेंकैया ने तिरंगे में लाल रंग हिंदू धर्म और हरा रंग मुस्लिम धर्म के प्रतीक के तौर पर रखा था, जबकि सफेद रंग को बाकी धर्मों के प्रतीक के तौर पर रखा गया. तिरंगे के बीच में चरखे को जगह दी गई थी. साल 1921 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के विजयवाडा अधिवेशन में पिंगली के डिजाइन किए तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर मंजूरी दे दी.
7- साल 1931 में तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव पारित हुआ, लेकिन उसमें कुछ संशोधन किया गया. तिरंगे में लाल रंग की जगह केसरिया रंग को रखा गया. 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया. हालांकि इसके कुछ समय बाद तिरंगे में चरखे की जगह अशोक चक्र को स्थान दिया गया.
8- कहा जाता है कि तिरंगे के बीच से चरखा हटाने की वजह से महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. अब हमारे राष्ट्रध्वज शामिल केसरिया रंग का मतलब समृद्धि से है, सफेद का मतलब शांति से और हरे रंग को प्रगति का प्रतीक माना जाता है.
9- देश को तिरंगा देने वाले पिंगली की मौत बेहद गरीबी में हुई. बताया जाता है कि देश के राष्ट्रध्वज की कल्पना को हकीकत बनाने वाले पिंगली के जीवन का आखिरी दौर झोपड़ी में गुजरा. साल 1963 को उनका निधन एक झोपड़ी में रहते हुए हुआ था.
10- दुर्भाग्य की बात तो यह है कि देश की आन-बान और शान के प्रतीक तिरंगे को डिजाइन करने वाले पिंगली को उनकी मौत के बाद लोगों ने भूला दिया.
गौरतलब है कि पिंगली वेंकैया के निधन के करीब 46 साल बाद 2009 में पहली बार उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया गया, जिसके बाद लोगों को पता चला कि भारत का तिरंगा जिन्होंने डिजाइन किया था वो पिंगली वेंकैया ही थे.