Ganesh Visarjan 2021: अगर आप गणेश-विसर्जन करने जा रहे हैं? रखें इन बातों का विशेष ध्यान!
प्रतिकत्मिक तस्वीर (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Ganeshotsav Visarjan 2021:  इन दिनों देश भर में बस गणपति की धूम मची हुई है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के ह्रदय में बस बप्पा ही बप्पा बसे होते हैं. ढोल-ताशों के साथ गणपति की स्थापना कर शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना एवं आरती उतारी जाती है. खुशियों और उमंगो के बीच गणेशोत्सव का पहला दिन कैसे निकल गया, पता नहीं चला. जिन लोगों ने डेढ़ दिन की गणपति रखी थी, अब वे गणेश-विसर्जन की तैयरियों में जुटे हैं. गौरतलब है कि जिस धूमधाम एवं परंपरागत तरीके से गणपति की स्थापना-अर्चना की जाती है, उसी तरह उनका विसर्जन भी उतनी ही धूमधाम से किया जाता है. आइये जानें बप्पा की विदाई के समय किन-किन बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए. यह भी पढ़े: Sri Ganesh Pratima Visarjan: गणपति प्रतिमा के विसर्जन पर ना करें ये गल्तियां कि बप्पा अप्रसन्न हों, जानें किन गल्तियों से बचना है?

* पौराणिक कथाओं में भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति बताये गये हैं. इसी वजह से अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति की पूजा-अर्चना कर प्रतिमा का विसर्जन करना आवश्यक समझा जाता है.

* गणपति का विसर्जन करने से पूर्व उनकी विधिवत पूजा-अर्चना कर भोग लगायें. इसके बाद भगवान गणेश की स्तुति एवं आरती उतारें. इसी दरम्यान सुहागन महिलाएं गणेश जी को सिंदूर चढ़ाती हैं.

* एक स्वच्छ पाटा पर गंगाजल अथवा गौमूत्र छिड़ककर उसकी शुद्धी करें. उस पर लाल, गुलाबी अथवा पीला कपड़ा बिछाकर बीचो-बीच स्वास्तिक का चिह्न बनायें. चारों कोनों पर चार सुपारी रखें. बीच में अक्षत एवं फूलों की पंखुड़िया बिछायें.

* अब जिस स्थान पर गणपति बप्पा की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी है. घर के मुखिया के द्वारा उसे थोड़ा-सा हिला देना चाहिए. मान्यता है कि मूर्ति हिलाने से मूर्ति निष्प्राण हो जाती है. इसके बाद ही उनका विसर्जन करना चाहिए.

* घर का मुखिया जब मूर्ति को दोनों हाथों से उठाकर तैयार पाटे पर रखते हैं तो सभी लोगों को मिलकर ‘गणपति बप्पा मोरया पुरचा वर्षी लौकरया’ का उद्घोष करना चाहिए.

*.गणपति की प्रतिमा को पाटे पर विराजने के बाद उनके पास दूर्वा, फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा एवं मोदक रखें.

* इस बार कोरोना महामारी के कारण तय गाइड लाइन को फालो करते हुए कम-से-कम लोग विसर्जन के जुलुस में शामिल होना चाहिए.

* नदी, तालाब अथवा प्रशासन द्वारा कृत्रिम जलाशय के किनारे मूर्ति को विसर्जित करने से पूर्व गणपति जी की कपूर से आरती करें, और गणेश जी से खुशी-खुशी विदाई की कामना करते हुए, अगले बरस पुन: वापस आने की प्रार्थना करें. मान्यता है कि जिस घर से बप्पा की पूरे विधि-विधान से विदाई होती है, गणपति की कृपा से पूरे साल उसे धन, सुख, शांति, समृद्ध की कमी नहीं रहती.

* गणेश जी को जल में प्रवाहित करने से पूर्व उनके सामने करबद्ध होकर पूजा-विधान आदि में जाने-अनजाने हुई गल्तियों के लिए छमा अवश्य मांगें.

* गणेश जी का विसर्जन करते समय मूर्ति को फेंके नहीं. उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और समस्त सामग्री समेत धीरे-धीरे डुबकी लगाते हुए जल में प्रवाहित करें.

* इन दिनों इको फ्रेन्डली मूर्ति काफी चलन में है. आप अगर ऐसी ही मूर्ति लाये हैं, तो बाहर जाकर विसर्जित करने के बजाय घर में ही विसर्जित कर सकते हैं. इसके लिए एक स्वच्छ अथवा नयी बाल्टी अथवा किसी फैले हुए पात्र में जल भरकर मूर्ति को उसी में प्रवाहित कर दें. कुछ समय बाद मूर्ति पानी में पूरी तरह से घुल जाती है, इसे आप गमलों आदि में डाल सकते हैं.

विसर्जन करते वक्त इन मंत्रों का जाप करें

वक्र तुण्डाय हुं

मेधोल्काय स्वाहा

गं गणपतये नमः

हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा

ऊँ ह्रीं गं हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा

ऊँ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा