Ekadanta Sankashti Chaturthi 2022: एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekadanta Sankashti Chaturthi) का उत्सव 13 महत्वपूर्ण संकटहर गणेश चतुर्थी व्रतों (Sankatahara Ganesha Chaturthi Vratas) में से एक है, जिसे हिंदू समुदाय के लोग बड़े ही भक्तिभाव के साथ मनाते हैं. इस दिन भक्त प्रथम पूजनीय भगवान गणेश (Lord Ganesha) के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है. दिनभर व्रत रखकर रात में चंद्र देव के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी विघ्न दूर होते हैं और गणेश जी की कृपा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी की तिथि, चंद्रोदय का समय, पूजा विधि और महत्व.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इस साल भगवान गणेश को समर्पित यह पर्व 19 मई 2022 (गुरुवार) को मनाया जाएगा.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त
चंद्रोदय का समय- रात 10:56 बजे.
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 18 मई 2022 की रात 11:36 बजे से,
चतुर्थी तिथि समाप्त- 19 मई 2022 को रात 08:23 बजे तक.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
एकदंत संकष्टी चतुर्थी के पावन अवसर पर लोग कई तरह के अनुष्ठानों का पालन करते हैं. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लिया जाता है. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूरे दिन का उपवास रखा जाता है. दिन भर व्रत रखने के बाद रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत पूर्ण होता है. पूजा स्थल पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है. पूजन के दौरान फूल, मिठाई, अगरबत्ती, चावल, नारियल इत्यादि अर्पित किए जाते हैं. भोग स्वरूप गणपति जी को मोदक या लड्डू चढ़ाया जाता है. धूप-दीप प्रज्जवलित कर संकष्टी चतुर्थी का पाठ किया जाता है, गणेश जी के मंत्रों का जप किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए मांन्यता है कि जो भी इस व्रत का पालन पूरे भक्तिभाव के साथ करता है, उसके सारे विघ्न दूर होते हैं और भगवान गणेश की कृपा से उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को समर्पित एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसकी भविष्य में आनेवाली बाधाएं भी दूर होती हैं.