विजयदशमी और दुर्गा पूजा की धूम अभी बाकी है, मगर देश भर में पटाखों के शोर ने महापर्व दीपावली की सुगबुगाहट शुरू कर दी है. दशहरा से 20 दिन के अंतराल पर 5 दिवसीय महापर्व दीपावली शुरु हो जाएगी. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस, अगले दिन नरक चतुर्दशी, कार्तिक अमावस्या को दीपावली (लक्ष्मी पूजन), कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा, चित्रगुप्त पूजा तथा भाईदूज जैसे पर्वों की श्रृंखला चलेगी. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दीपावली 10 नवंबर 2023, से 15 नवंबर 2023, तक मनाई जाएगी. यद्यपि दीपावली अभी दूर है, मगर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. आप हर पर्व का भरपूर आनंद ले सकें, इसलिए यहां दीपावली की सिलसिलेवार सूची प्रकाशित की जा रही है. साथ ही बताएंगे लक्ष्मी-पूजन 12 नवंबर को होगी या 13 नवंबर को.
धनतेरस
दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस से शुरू होती है, इसे सुख, शांति एवं आरोग्य का पर्व माना जाता है. यह पर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाई जाती है. इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 10 नवंबर 2023 (12.35 PM) से अगले दिन 11 नवंबर 2023 (01.57 PM) तक रहेगी. इस तरह धनतेरस का पर्व 10 नवंबर 2023 शुक्रवार को मनाया जाएगा. धनतेरस का पर्व गोधूलि वेला में मनाई जाती है. इस काल में की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आज के दिन समुद्र-मंथन से आरोग्य देव धन्वंतरी प्रकट हुए थे. धनतेरस पर स्वर्ण आभूषण, चांदी, गाड़ियां एवं पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. यह भी पढ़ें : Sharad Navratri Pooja 2023, Day-1: आज शैलपुत्री और देवी सरस्वती की होगी पूजा! जानें शुभ मुहूर्त, आह्वान मंत्र एवं पूजा-विधि!
नरक चतुर्दशी
धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली, काली चौदस अथवा नरक चतुर्दशी के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन यमराज की पूजा की जाती है. इस दिन देर रात सरसों तेल का दीपक जलाकर घर के पिछवाड़े हिस्से में रखा जाता है. मान्यता अनुसार इस दिन यमराज की पूजा करने से घर-परिवार में आपात मृत्यु नहीं होती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष नरक चतुर्दशी 12 नवंबर 2023, रविवार को मनाया जाएगा.
दीपावली पूजा
दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष 12 नवंबर 2023, रविवार (02.45 PM) से 13 नवंबर 2023, सोमवार (02.56 PM) तक कार्तिक मास की अमावस्या पड़ रही है. इस दिन महालक्ष्मी, सरस्वती, गणेश एवं कुबेर देवता की विधि-विधा