Babasaheb Ambedkar Death Anniversary 2022: समाज द्वारा बहिष्कृत होकर भी समाज के हर वर्ग के लिए अपना सर्वस्व दिया बाबा साहेब आंबेडकर ने! जानें उनके जीवन से जुड़े 6 महत्वपूर्ण पहलू!
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Mahaparinirvan Diwas 2022: आजादी के पूर्व से ही दलितों एक आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण के लिए संघर्ष करने वाले डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्य तिथि 6 दिसंबर महापरिनिर्वाण के रूप में मनाया जाता है. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जब भारतीय संविधान के निर्माण हेतु मसौदा तैयार करने के लिए ड्रॉफ्टिंग कमेटी के 7 सदस्यों का चयन किया गया तो उसके अध्यक्ष के रूप में बाबा साहेब आंबेडकर का नाम मनोनीत किया गया था. अस्पृश्यता के सामाजिक संकट को खत्म करने में भारत में उनके महान प्रभाव के लिए जाना जाता है. गौरतलब है कि बाबा साहेब ने साल 1947 से 1951 तक तत्कालीन प्रधानमंत्र पं जवाहर लाल नेहरू की पहली कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्री के रूप में कार्य किया. बाबा साहब की 63वीं पुण्य-तिथि पर प्रस्तुत है उनके जीवनकाल के महत्वपूर्ण पहलू..

* बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ, हालांकि उनका परिवार मूलतः रत्नागिरी (महाराष्ट्र) से था. पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माँ का नाम भीमाभाई था. वे मूलतः महार जाति के थे, इस वजह से स्कूली दिनों में प्रवेश के दरम्यान उनके साथ जातिगत आधार पर भेदभाव किया जाता था.

* बाबा साहेब अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, तथा कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध के लिए एक विद्वान के रूप में ख्याति अर्जित किया.

* 1945 में बाबा साहेब ने देश के लिए जलनीति और औद्योगिकरण की आर्थिक नीतियां जैसे नदी-नालों को जोडना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय जल और विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए.

* बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा दलितों के सामाजिक, शैक्षिक एवं सामाजिक जीवन को सशक्त बनाने और उनकी आवाज को बुलंद बनाने में समर्पित कर दिया. इसके अलावा उन्होंने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

* भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के अलावा, बाबासाहेब ने भारतीय रिजर्व बैंक के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सेंट्रल बैंक का गठन बाबासाहेब द्वारा हिल्टन यंग कमीशन की अवधारणा के आधार पर किया था.

* अपने शुरुआती करियर में बाबा साहेब एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील तीनों रूप में काम किया. बाबासाहेब अपने जीवन के उत्तरोत्तर काल में दलितों के लिए राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत करते हुए, भारत की स्वतंत्रता के लिए अभियान और वार्ता सहित राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हुए.

* 1956 में नागपुर में आयोजित एक समारोह में उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था. अम्बेडकर के अनुयायी उन्हें भगवान बुद्ध के समान प्रभावशाली मानते हैं, यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि (6 दिसंबर 1956) के दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है.