नैनीताल, 12 जनवरी: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से चमोली जिले के भूमि धंसाव प्रभावित जोशीमठ कस्बे के लिए एक मजबूत योजना बनाने का निर्देश दिया. मामले से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार को इस मामले पर गौर करने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का निर्देश दिया. Joshimath Subsidence: पहली बार जोशीमठ की सैटेलाइट Photos आई सामने, तस्वीरों में देखें धंस रहा है कौन सा इलाका
अदालत ने कहा कि समिति में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पीयूष रौतेला और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के कार्यकारी निदेशक एम.पी.एस. बिष्ट को शामिल किया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा कि समिति दो महीने के अंदर सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपे.
अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि जोशीमठ के आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश तुरंत पारित किया जाए.
बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग स्थल औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. कस्बे में रहने वाले कुल 169 परिवारों को अब तक राहत केंद्रों में स्थानांतरित किया जा चुका है.
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