Joshimath Satellite Images: पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ में जमीन धंसने और दरारों की जानकारी मिल रही है. 700 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं. सड़कों, अस्पतालों, होटल्स भी दरक रहे हैं. जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीर आई है, जिसमें बताया जा रहा है कि कौन सा इलाका धंस रहा है. यह तस्वीरें ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जारी की हैं. Joshimath Sinking: हैदराबाद के वैज्ञानिक जोशीमठ में जमीन धंसने की वजहों का पता लगाएंगे
ISRO के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने यह रिपोर्ट जारी की है. तस्वीरों को कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से लिया गया है. शायद इसी के आधार पर राज्य सरकार लोगों को डेंजर जोन से बाहर निकाल रही है. इसरो ने कार्टोसैट-2एस (Cartosat-2S) सैटेलाइट से 7 से 10 जनवरी 2023 तक जोशीमठ की तस्वीरें लीं.
इसरो ने कार्टोसैट-2एस (Cartosat-2S) सैटेलाइट से 7 से 10 जनवरी 2023 तक जोशीमठ की तस्वीरें लीं. उसके बाद ऊपर बताई गई तकनीक से प्रोसेस किया. तब जाकर पता चला कि कौन सा इलाका धंस सकता है. या धंसने की कगार पर है. जोशीमठ शहर के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम है, जहां पर इतना ज्यादा ड्रेनेज होगा, वहां की मिट्टी तो धंसेगी ही.
पीले घेरे वाला इलाका धंसने की कगार पर है. औली रोड भी धंसने वाला है. बाकी जोशीमठ का निचला हिस्सा यानी बेस जो कि अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर है, वह भी धंसेगा. हालांकि यह इसरो की प्राइमरी रिपोर्ट है.
— Shubham Rai (@shubhamrai80) January 12, 2023
जोशीमठ मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान उत्तराखंड सरकार ने जवाब में कहा कि राज्य और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है. NDRF की टीम को जोशीमठ में तैनात किया गया है. जोशीमठ में रहने वाले 5000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जा चुका है. उत्तराखंड सरकार इस मामले में सजग है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 16 जनवरी को सुनवाई होनी है. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जोशीमठ मामले में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की मांग की गई है. अब फरवरी में इस मामले में सुनवाई होगी.