
फ्रांस की धुर-दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन के चुनाव लड़ने पर एक स्थानीय अदालत ने प्रतिबंध लगा दिया. संसद में सबसे बड़ी पार्टी की मुख्य नेता ले पेन पर लगी पाबंदी का असर फ्रांस और यूरोप की धुर-दक्षिणपंथी राजनीति पर दिखेगा.फ्रांस की धुर-दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन को देश की एक अदालत ने यूरोपीय संघ से मिलने वाले फंड के दुरुपयोग का दोषी पाया. उनके किसी भी सरकारी पद के लिए चुनाव लड़ने पर पांच साल का तत्काल प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अलावा ले पेन को 4 साल की कैद की सजा सुनाई गई है. इनमें दो साल उन्हें अपने घर में एक ट्रैकिंग डिवाइस पहनकर बिताने होंगे. दोबारा इसी तरह के आरोपों में दोषी होने या कोई गैर-कानूनी कदम उठाने पर बची हुई 2 साल की लंबित सजा लागू हो जाएगी.
ले पेन को एक लाख यूरो का जुर्माना भी भरना होगा. अदालत के इस फैसले से उनके 2027 में राष्ट्रपति बनने की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं. यूरोप में तेजी से पैठ बनाती धुर-दक्षिणपंथी राजनीति को हाल-फिलहाल में लगा यह सबसे बड़ा झटका है. ले पेन इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं लेकिन उस याचिका पर सुनवाई 2026 से पहले शुरू होने जाने की संभावनाएं कम हैं.
क्या है मामला
अदालत ने ले पेन और उनकी नैशनल रैली पार्टी (आरएन) के नेताओं को यूरोपीय संसद में संसदीय सहायकों के लिए निर्धारित फंड में से 30 लाख यूरो के दुरुपयोग का दोषी पाया है. अभियोजकों ने आरोप लगाया कि विवादित धनराशि का इस्तेमाल 2004 से 2016 के बीच फ्रांस स्थित पार्टी के स्टाफ को भुगतान करने के लिए किया गया, जो यूरोपीय संघ के नियमों का उल्लंघन था. ले पेन के अलावा यूरोपीय संसद के सदस्य रहे उनकी पार्टी के आठ अन्य नेताओं को भी दोषी ठहराया गया है. साथ ही, 12 संसदीय सहायकों को भी अदालत ने दोषी पाया है.
फैसले पर ले पेन का रुख
फैसले के बाद एक टेलीविजन इंटरव्यू में ले पेन ने अपील करने का वादा करते हुए कहा, "मैं खुद को इस तरह खत्म नहीं होने दूंगी. मैं जो भी कानूनी रास्ते अपना सकती हूं, अपनाऊंगी." ले पेन ने प्रसारक टीएफ1 से कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा नहीं है कि 2027 के फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव से पहले उनकी अपील सुनी जाएगी. उन्होंने कहा, "साफ कहूं तो मैं (दौड़ से) बाहर हो गई हूं लेकिन असल में ये लाखों फ्रांसीसी लोग हैं जिनकी आवाज खत्म कर दी गई है." एक आक्रामक इंटरव्यू में उन्होंने फिर जोर देकर कहा कि वह किसी भी हालत में राजनीति छोड़ने वाली नहीं हैं.
ले पेन कहती हैं, "मैं अपील करूंगी क्योंकि मैं निर्दोष हूं," उन्होंने कहा. "मैं खुद को इस तरह खत्म नहीं होने दूंगी. मैं जो भी कानूनी रास्ते अपना सकती हूं, अपनाऊंगी. एक छोटा रास्ता है, यह निश्चित रूप से संकरा है, लेकिन यह (रास्ता) मौजूद है."
देश-विदेश से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि ले पेन को सजा और 2027 के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाना "बहुत बड़ी बात" है. ट्रंप ने ले पेन की सजा की तुलना अपनी कानूनी लड़ाइयों से भी की. सोमवार (31 मार्च) को ट्रंप ने पत्रकारों से कहा,"उन्हें (ले पेन को) पांच साल तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया और वह प्रमुख उम्मीदवार थीं. यह तो हमारे देश जैसा ही लगता है."
रूस ने अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए इसे यूरोप में लोकतंत्र पर खतरे का संकेत बता दिया. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा,"ज्यादा से ज्यादा यूरोपीय राजधानियां लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन करने वाले रास्ते पर जा रही हैं."
अपनी दक्षिणपंथी राजनीति के कारण यूरोपीय संघ से निरंतर टकराव में रहने वाले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने अदालत के फैसले के बाद ले पेन के प्रति अपना "समर्थन" व्यक्त किया. सबसे कड़ी प्रतिक्रिया दक्षिणपंथी लीग पार्टी के नेता और इटली के उप-प्रधानमंत्री मातियो साल्विनी से आई. उन्होंने इस फैसले को "ब्रसेल्स की ओर से युद्ध की घोषणा" बताया.
ले पेन के कुछ प्रतिद्वंद्वियों जैसे प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरोउ ने- 'कौन चुनाव लड़ सकता है, कौन नहीं,' अदालतों के यह तय करने पर चिंता जताई है. ले पेन के सहयोगी और आरएन पार्टी के प्रमुख जॉर्डन बारदेला ने कहा कि "अन्यायपूर्ण फैसले के साथ फ्रांसीसी लोकतंत्र समाप्त कर दिया गया." राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की सत्ताधारी रेनेसां पार्टी और वामपंथी पार्टियों ने फैसले का स्वागत किया है.
फ्रांस की राजनीति पर असर
बीते 15 महीने फ्रांस की राजनीति में भारी उथल-पुथल के रहे हैं. इस दौरान देश ने चार प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देख लिया है. इसके अलावा जून-जुलाई 2024 में हुआ मध्यावधि चुनाव भी देखा जहां किसी भी एक पार्टी या विचारधारा को बहुमत नहीं मिला लेकिन धुर-दक्षिणपंथी पार्टी नैशनल रैली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 577 सदस्यों वाले संसद के निचले सदन- 'नैशनल असेंबली' में मरीन ले पेन की पार्टी के पास 123 सांसद हैं. यह स्थिति भी तब आई, जब दो चरणों में होने वाले फ्रेंच चुनाव में, पहले चरण के बाद वामपंथी और मध्यमार्गीय पार्टियां आपस में तालमेल बनाकर चुनाव लड़ी थीं. 2024 में यूरोपीय संसद के लिए भी चुनाव हुए जिसमें फ्रांस के दक्षिणपंथी विचारधारा वाले दलों को खासा समर्थन मिला.
हालांकि पहले स्थितियां अलग थीं. मरीन ले पेन पिछले तीन राष्ट्रपति चुनाव हार चुकी हैं. 2012 से लगातार इस पद के लिए चुनाव लड़़ने वाली ले पेन के लिए 2027 का चुनाव सबसे बड़ा मौका हो सकता है. वह राष्ट्रपति पद के लिए फिलहाल सबसे ज्यादा पसंदीदा चेहरा हैं. लेकिन अदालत से राहत ना मिल पाने की सूरत में किसी नए चेहरे को मौका मिलेगा. 29 साल के पार्टी प्रमुख जॉर्डन बारदेला का नाम इस दौड़ में सबसे आगे चल रहा है. युवा बारदेला का राजनीति में ज्यादा लंबा अनुभव नहीं है लेकिन वह युवाओं के बीच पैठ रखते हैं. मरीन ले पेन ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सबसे अहम सहयोगी की तरह पेश किया था.
तीन बड़े धड़ों में बंटी नैशनल असेंबली का मौजूदा कार्यकाल जून 2029 तक है. लेकिन राष्ट्रपति के पास एक साल के अंतराल पर संसद भंग करने का अधिकार होता है. मध्यावधि चुनाव जुलाई 2024 में पूरा हुआ था, इसलिए इस साल जुलाई महीने तक दोबारा चुनाव नहीं हो सकता. यह बाधा दूर होने पर माक्रों दोबारा चुनाव करवाने का आदेश देने के लिए स्वतंत्र हैं. अगले कुछ महीनों में वह ऐसा करेंगे या नहीं, यह वक्त और फ्रांस का राजनीतिक माहौल तय करेगा.
आरएस/आरआर(एएफपी, डीपीए)