Chaitra Navratri 2025: दुर्गा अष्टमी कब मनाई जाएगी 05 या 06 अप्रैल को? जानें सटीक तिथि तथा कन्या-पूजन की तिथि एवं विधि!
चैत्र नवरात्रि 2025 (Photo Credits: File Image)

हिंदू धर्म शास्त्रों में चैत्र नवरात्र का खास महत्व बताया गया है. चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा-अर्चना की जाती है. अष्टमी पर मां दुर्गा की खास पूजा होती है. कुछ लोग पूरे नौ दिन तो कुछ लोग चढ़ती-उतरती (नवरात्रि के पहले और नवें दिन) उपवास रखते हैं. इस दिन बहुत से लोग विशेषकर नौ दिन का उपवास रखनेवाले जातक अष्टमी के दिन कन्या-पूजन की परंपरा भी निभाते हैं. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का एक दिन क्षय होने के कारण लोगों में दुविधा है कि अष्टमी किस दिन मनाई जाएगी, तथा कन्या-पूजन किस दिन किया जाएगा. आइये जानते हैं कन्या-पूजन की विधि एवं, मूल-तिथि के बारे ज्योतिषाचार्य पंडित भागवत जी महाराज से..

कब मनाएं अष्टमी 6 या 7 अप्रैल 2025 को?

चैत्र माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी प्रारंभः 08.12 PM (04 अप्रैल 2025)

चैत्र माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी समाप्तः 07.26 PM (05 अप्रैल 2025)

उदया तिथि के अनुसार 05 अप्रैल 2025 को नवरात्रि की अष्टमी तिथि का व्रत एवं अनुष्ठान रखा जाएगा. जो जातक इस तिथि से संतुष्ट नहीं हैं, वे किसी निटकतम योग्य पुरोहित से सलाहमशविरा ले सकते हैं. यह भी पढ़ें : Ram Navami Mehndi Design: रामनवमी पर श्री राम, धनुष बाण और माता सीता पैटर्न वाले लगाएं ये मेहंदी डिजाइन, देखें ट्यूटोरियल

दुर्गा अष्टमी पर बन रहे हैं कई शुभ योगों के संयोग!

शिववास योगः निशा काल में

सुकर्मा योगः पूरे दिन

पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग पूरे समय

उपयुक्त योगों में मां दुर्गा की पूजा अनुष्ठान करने से जातक को सुख एवं सौभाग्य की वृद्धि होती है. हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं, तथा जाने-अनजाने हुए पाप नष्ट हो जाते हैं.

कन्या-पूजन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की कन्या-पूजन अष्टमी एवं नवमी दोनों ही दोनों ही दिन की जा सकती है.

कन्या पूजनः

05 अप्रैल (अष्टमी) : 11.59 AM से 12.49 PM तक

06 अप्रैल (नवमी) : 11.59 AM से 12.50 PM तक

अष्टमी एवं नवमी को उपयुक्त मुहूर्त में कन्या पूजन कर माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

कन्या पूजा की विधि

अष्टमी अथवा नवमी के दिन 9 कन्या और एक लड़का (2 से 10 वर्ष की) कन्या-पूजन के दरमियान सर्वप्रथम कन्याओं के पैर धोकर पोछें. अब कन्याओं को आसन पर बिठाकर उनके तिलक कर चुनरी ओढ़ाएं. उन्हें भोजन (हलुवा, पूरी, चना की सब्जी) खिलाएं. इसके पश्चात उन्हें उपहार और दक्षिणा भेंट करें. अब उनकी विदाई करते समय उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. इसके पश्चात स्वयं भोजन (प्रसाद) ग्रहण करें.