Grok AI है सबसे इको-फ्रेंडली चैटबॉट, ChatGPT और Gemini को छोड़ा पीछे
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट्स अब हमारे डिजिटल जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन इसके साथ ही, इनकी पर्यावरणीय क्षति पर भी सवाल उठने लगे हैं. हाल ही में TRG Datacenters द्वारा किए गए एक विश्लेषण में, विभिन्न AI मॉडलों के कार्बन उत्सर्जन की तुलना की गई, जिसमें Grok AI को सबसे इको-फ्रेंडली चैटबॉट के रूप में पहचाना गया है.

Grok AI: सबसे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल चैटबॉट

रिपोर्ट के अनुसार, Grok AI प्रति क्वेरी केवल 0.17 ग्राम CO₂ उत्सर्जित करता है, जिससे यह सबसे कम ऊर्जा खपत करने वाला AI मॉडल बन जाता है. इसकी कम ऊर्जा खपत का कारण इसका बेहद अनुकूलित आर्किटेक्चर है, जो न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करके अधिकतम दक्षता प्रदान करता है. Grok AI का कार्बन फुटप्रिंट एक Google सर्च के बराबर है, जो AI तकनीक में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है.

इसके मुकाबले, Google Gemini दूसरे स्थान पर है, लेकिन यह 1.6 ग्राम CO₂ प्रति क्वेरी उत्सर्जित करता है, जो Grok से लगभग 10 गुना ज्यादा है. हालांकि, Google की नवीकरणीय ऊर्जा निवेश नीति इसे अन्य AI मॉडलों की तुलना में कम प्रदूषित बनाती है.

अन्य AI मॉडलों का कार्बन उत्सर्जन कितना है?

इस लिस्ट में तीसरा नाम Meta LLaMA AI का है जो 3.2 ग्राम CO₂ प्रति क्वेरी उत्सर्जित करता है. हालांकि Meta स्थिरता की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन इसके बढ़ते AI ऑपरेशंस भविष्य में उत्सर्जन को और बढ़ा सकते हैं.

चौथे स्थान पर है Claude AI जो 3.5 ग्राम CO₂ प्रति क्वेरी उत्सर्जित करता है. यह सुरक्षा और विश्वसनीयता को प्राथमिकता देता है, लेकिन इसकी उच्च गणना शक्ति इसके कार्बन उत्सर्जन को बढ़ा देती है.

पांचवें स्थान पर है Perplexity AI यह 4 ग्राम CO₂ प्रति क्वेरी उत्सर्जित करता है. इसकी सर्च-इंटीग्रेटेड विशेषता के कारण यह अधिक ऊर्जा खपत करता है. यह कार्बन उत्सर्जन एक स्मार्टफोन को 1-1.5 बार चार्ज करने के बराबर है.

GPT-4: सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला AI मॉडल

इस सूची में सबसे निचले स्थान पर GPT-4 है, जो 4.32 ग्राम CO₂ प्रति क्वेरी उत्सर्जित करता है, यानी Grok AI से 25 गुना ज्यादा. यह सबसे उन्नत AI मॉडल में से एक है, लेकिन इसकी भारी गणना क्षमता इसे सबसे अधिक ऊर्जा खपत करने वाला और सबसे प्रदूषणकारी बनाती है. GPT-4 का प्रत्येक उपयोग 21 ईमेल भेजने या लगभग एक फोन चार्ज करने के बराबर उत्सर्जन करता है, जिससे इसकी दीर्घकालिक स्थिरता पर सवाल उठते हैं.

टिकाऊ AI की दिशा में अगला कदम

TRG Datacenters के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जैसे-जैसे AI का उपयोग बढ़ रहा है, इसकी ऊर्जा खपत को कम करने के तरीके खोजना आवश्यक है. कुछ मॉडल पहले से अधिक कुशल हैं, लेकिन अभी भी सुधार की गुंजाइश है. हार्डवेयर में सुधार, अधिक अनुकूलित AI मॉडल और डेटा सेंटर में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से उत्सर्जन को कम किया जा सकता है."

इस अध्ययन ने AI कंपनियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उन्हें इनोवेशन और स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखना होगा. Grok AI ने साबित कर दिया है कि कुशल और कम ऊर्जा खपत करने वाला AI संभव है, अब बाकी टेक कंपनियों पर दबाव है कि वे भी इस दिशा में कदम बढाएं.