गजबे हैं! जमानत मिलने के बाद भी 3 साल तक जेल में रहा शख्स, ईमेल पर आदेश की कॉपी नहीं खोल सकी पुलिस, अब HC ने दिया 1 लाख का मुआवजा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Flickr)

गुजरात में एक दोषी को 3 साल पहले ही जमानत मिल गई थी, इसके बावजूद अभी तक वह जेल में था. इसका कारण है पुलिस की लापरवाही. शख्स को 2020 में ही जमानत मिल गई थी, लेकिन पुलिस अधिकारी जमानत आदेश की कॉपी नहीं खोल सके, जिसे कोर्ट ने ईमेल पर भेजा था.

मामले का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने दोषी चंदनजी ठाकोर को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह मुआवजा राज्य सरकार को देना होगा. ये भी पढ़ें- SC on Love Marriages and Divorces: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लव मैरिज में बढ़ रहे हैं तलाक के मामले

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा. "न्यायालय की रजिस्ट्री ने आवेदक को नियमित जमानत पर रिहा करने के बारे में जेल अधिकारियों को स्पष्ट रूप से सूचित किया था. ऐसा नहीं है कि जेल अधिकारियों को ऐसा ई-मेल प्राप्त नहीं हुआ था. यह जेल अधिकारियों का मामला है कि कोविड ​​-19 महामारी के मद्देनजर आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा सकी, हालांकि उन्हें ई-मेल प्राप्त हुआ, लेकिन वे इस खोलने में असमर्थ थे''

कोर्ट ने कहा, 'मौजूदा मामला आंखें खोलने वाला है. जमानत मिलने के बावजूद लगभग तीन साल जेल में बिताने वाले कैदी की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि वह उसे मुआवजा देने के इच्छुक है.' दोषी हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था.

उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा जेल अधिकारियों को ई-मेल के माध्यम से सूचित किया गया था, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण, जेल अधिकारियों द्वारा ई-मेल पर ध्यान नहीं दिया गया और न्यायालय द्वारा पारित आदेश को लागू नहीं किया गया.

जेल अधिकारियों ने दावा किया कि COVID-19 महामारी के कारण आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा सकी और हालांकि उन्हें ईमेल प्राप्त हुआ था, उन्होंने कहा कि वे अनुलग्नक को खोलने में असमर्थ थे.

अदालत ने कहा, इसलिए, हालांकि आवेदक को जमानत दे दी गई थी, लेकिन जेल अधिकारियों की अनदेखी के कारण वह जेल में ही रहा.

कोर्ट ने जेल अधिकारियों की लापरवाही को इसका जिम्मेदार ठहराया और राज्य को "गंभीर चूक" के लिए 14 दिनों के भीतर 1 लाख का रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.